मल्हार मीडिया।
मध्यप्रदेश के सागर के बीना तहसील के बुंदेली भाषा में साहित्यकार, मशहूर कवि महेश कटारे सुगम को साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा बुंदेली भाषा के विकास के लिए सम्मानित किया जाएगा। एक लाख रुपये नगद व प्रशस्ति पत्र के रूप में यह पुरुस्कार अप्रेल माह के आखिरी सप्ताह में दिल्ली में एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा जाएगा।
हाल ही मे अंतराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेट पर बुंदेली भाषा को शब्दकोश में शामिल कराने वाले कटारे जी बेहद ही मर्मस्पर्शी रचनाओं के लिए जाने जाते हैं। ठेट बुंदेली भाषा में समाज में व्यापत बुराइयों कुरीतियों व्यवस्था पर करारा वार करते हैं। प्रतिदिन फेसबुक पर हजारो लोगों को जो देश विदेशों मे रहते हॆ उन्हें कटारे जी की बुंदेली की कविताएँ अपनों से जोडती हैं।
कुछ रचनाएँ गांव के गेंवडे पानी जितनो गॆरो हुइए उतनो ही ठेरो हुइए
जा औरों की साल रामधई बिना दवाई खांस खांस के मर गऊ रामदयाल रामध ई
आम बोल चाल की भाषा मे किसान मजदूर महिलाएं नेताओं पुलिस की हकीकत की पोल सुगम जी आए दिन अपनी रचनाओं मे खोलते हॆ ओर समाज को झकझोरने का काम करते हॆ
राम द्वारा सीताजी को वनवास दिए जाने का वर्णन तो इतने मार्मिक ढंग से पेश किया हॆ की पढने वाला जब तक पूरे छंद नही पढता हॆ किताब बंद नही करता हॆ सीता जी द्वार राम कि कहा गया की लवकुश पर शक न करना वाली लाईने तो पुरुष समाज के दोहरे रवॆये का जीता जागता उदाहरण हॆ राम द्वारा सीता को वनवास देने पर कवि ने इतनी उलाहना दी हॆ कि पितृ सत्तामक समाज को कटघरे मे खडा किया हॆ
अंधी महिला की कहानी रानी ब ऊ
एनसीईआरटी की कक्षा सातवीं म दिल्ली आओम थानवी तुलसीदास जॆसे नामी कवियो के साथ में बंजारे नामक कविता पढाई जाती है। छतरपुर के महाराजा छत्रसाल कालेज में हिन्दी एम ए के कोर्स मे सुगम जी का जीवन परिचय शामिल किया गया है।
प्राचार्य संध्या टिकेकर के शोधार्थी छात्र द्वारा श्री कटारे जी की रचनाओं पर शोध का कार्य चल रहा हॆ।
एक दर्जन से अधिक भाषा सम्मान से कटारे जी को नवाजा जा चुका है।
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