सवर्ण की जगह अनारक्षित ज्यादा उचित

खरी-खरी            Sep 22, 2018


हर्षवर्द्धन प्रकाश।
"सवर्ण" पूर्वाग्रहयुक्त (prejudiced) शब्द है जो कुछ यूं आभास देता है कि इस समुदाय के लोग अनिवार्य रूप से ज़्यादा श्रेष्ठ होते हैं। इस शब्द में एक अनावश्यक घमंड छिपा है जो अवसरों की समानता की मौजूदा बहस को कमज़ोर करता है।

क्या "सवर्ण" समुदाय का कोई व्यक्ति कमज़ोर नहीं हो सकता? क्या इस समुदाय का कोई व्यक्ति अत्याचार का शिकार नहीं हो सकता?

वैसे भी जब तत्कालीन वर्ण व्यवस्था (इस व्यवस्था का मौजूदा दौर में कोई मतलब नहीं है) में चार वर्ण बना दिये गये थे, तब हर व्यक्ति का कोई न कोई वर्ण तो होता ही होगा। ऐसे में हर व्यक्ति "सवर्ण" (वर्ण के साथ) नहीं होगा?

इस दौर में "सवर्ण" की जगह "अनारक्षित" शब्द का इस्तेमाल ज़्यादा उचित है। "अनारक्षित" शब्द वर्तमान आरक्षण व्यवस्था को लेकर इस समुदाय की कानूनी/संवैधानिक स्थिति स्पष्ट करता है। "अनारक्षित" शब्द का दायरा विस्तृत है।

जातियों के generalization के तहत इसी तरह "दबंग" शब्द के साथ भी भारी अन्याय किया गया है। अपने मूल अर्थ में "दबंग" शब्द साहसी व्यक्ति का सकारात्मक प्रतीक है। लेकिन मीडिया में लगातार ग़लत प्रयोग के चलते इसे उन निरंकुश लोगों का नकारात्मक जातीय पर्याय बना दिया गया है, जो कमज़ोरों पर अत्याचार करते हैं।

देश, काल और समाज बदल रहा है, तो शब्दों का इस्तेमाल भी बदलना होगा।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।फेसबुक वॉल से।

 



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