तो लोया जिंदा होते और बहुत सारे अपराधी जेल में

खास खबर            Feb 14, 2018


विनोद चंद।

बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहित शाह (रिटायर) ने एक फैसले का मसविदा जज बृजगोपाल हरकिशन लोया को दिया। उन्होंने उनसे कहा कि इस ड्राफ्ट पर चलिए और अमित शाह को आजाद कर दीजिए।

जज लोया एक ईमानदार जज थे। उन्होंने यह मसौदा तीन लोगों से साझा किया। जिला जज थोम्ब्रे, अधिवक्ता खंडालकर और सामाजिक कार्यकर्ता सतीश उके। इन तीन लोगों ने न्यायमूर्ति बीजी खोसले पाटिल (रिटायर) से संपर्क किया और मसौदा दस्तावेज पर उनकी सलाह मांगी।
न्यायमूर्ति बीजी खोसले पाटिल ने इन तीन लोगों से कहा कि वे दिल्ली जाएं और मौसेदे को कपिल सिबल से साझा करें।

तीनों लोग दिल्ली आए और ड्राफ्ट ऑर्डर को कपिल सिबल से साझा किया पर वे इस मामले में कुछ खास नहीं कर पाए।

यह सब जज लोया की मौत से पहले की बात है। इसके बाद जज लोया नागपुर गए और संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई।

एक साल बाद अधिवक्ता खंडालकर को धमकियां मिलनी शुरू हुईं क्योंकि लोगों को पता चल गया था कि मसौदा आदेश उनके पास है। एक दिन अधिवक्ता खंडालकर लापता हो गए और नागपुर हाईकोर्ट परिसर में मरे मिले।

बताया गया कि उन्होंने पांचवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव मौत के दो दिन बाद मिला था। मौत के कारणों का पता लगाने के लिए कोई जांच शुरू नहीं की गई।

जल्दी ही जिला जज थोम्ब्रे को भी धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। वे भी एक ट्रेन के 3 टीयर कोच में ऊपर वाले बर्थ से गिरकर मर गए।

सामाजिक कार्यकर्ता सतीश उके का नंबर अगला था। एक दिन वे एक ऑफिस में छत के नीचे बैठे थे और घर जाने के लिए निकले ही थे कि 500 टन लोहे का सरिया 'दुर्घटनावश' उनकी छत पर गिरा और उनकी छत / ऑफिस मलबे में बदल गई।

तबसे सतीश उके छिपे हुए हैं और हाल में कपिल सिबल के साथ एआईसीसी ऑफिस दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए सामने आए थे। प्रेस कांफ्रेंस को किसी समाचार चैनल ने टेलीकास्ट नहीं किया।

अगर जज लोया ने सारी बातें सार्वजनिक कर दी होतीं, कपिल सिबल ने ड्राफ्ट ऑर्डर पर कार्रवाई की होती तो जज लोया जीवित होते और बांबे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह (रिटायर) समेत बहुत सारे अपराधी अभी जेल में होते।

अनुवाद संजय कुमार सिंह।



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