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कोर्ट ने पूछा, केजरीवाल के घर से ऐसा खाना क्यों भेजा जा रहा है

राष्ट्रीय            Apr 23, 2024


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

अदालत ने सोमवार को कहा कि वह यह समझने में असमर्थ है कि केजरीवाल का परिवार उन्हें भोजन में आम, मिठाइयां और आलू-पूरी क्यों भेज रहा है, जबकि यह चिकित्सकीय रूप से निर्धारित आहार के अनुरूप नहीं है।

अदालत से सोमवार को तिहाड़ में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका लगा है। कोर्ट ने मुख्यमंत्री की ओर से दायर उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव के संबंध में रोज 15 मिनट के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अपने निजी डॉक्टर से परामर्श लेने की इजाजत मांगी थी।

केजरीवाल ने अपनी पत्नी को भी वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की थी। राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा, जेल अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि केजरीवाल को सभी आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान किए जाएं।

अदालत ने कहा, यदि केजरीवाल को जेल में विशेष परामर्श की आवश्यकता होती है तो तिहाड़ अधिकारी एम्स के निदेशक की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड से सलाह करेंगे। केजरीवाल को इंसुलिन देने के बारे में फैसला गठित मेडिकल बोर्ड करेगा।

अदालत ने कहा कि मेडिकल बोर्ड केजरीवाल के लिए आहार और व्यायाम योजना निर्धारित करेगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केजरीवाल घर का बना खाना खा सकते हैं, बशर्ते वह मेडिकल बोर्ड की ओर से निर्धारित आहार के अनुसार हो।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल अपना शुगर लेवल बढ़ाने के लिए जानबूझकर जेल में आम, मिठाइयां और चीनी वाली चाय ले रहे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री जमानत के लिए आधार बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

हालांकि, केजरीवाल की ओर से कहा गया कि कुल 48 भोजन में से केवल तीन बार घर के बने भोजन में उन्हें आम भेजा गया था। जेल अधिकारियों के वकील ने अदालत को बताया था कि ऐसा नहीं है कि जेल में केजरीवाल की निगरानी नहीं की जा रही है या उन्हें कोई कठिनाई हो रही है। उन्होंने कहा उन्हें चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।

अदालत ने सोमवार को कहा कि वह यह समझने में असमर्थ है कि केजरीवाल का परिवार उन्हें भोजन में आम, मिठाइयां और आलू-पूरी क्यों भेज रहा है, जबकि यह चिकित्सकीय रूप से निर्धारित आहार के अनुरूप नहीं है।

केजरीवाल मधुमेह के रोगी हैं और चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित आहार ऐसे भोजन की अनुमति नहीं देता। अदालत ने एक अप्रैल को एक आदेश पारित कर केजरीवाल को उनके स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए जेल में घर का बना खाना खाने की अनुमति दी थी। इसके बाद, यह पता चला कि घर का बना खाना कई बार मेडिकल टीम द्वारा निर्धारित आहार से अलग था।

विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने ऐसे खाद्य पदार्थों की अनुमति देने के लिए जेल अधिकारियों से भी सवाल किया जो उनके आदेश और चिकित्सा नुस्खे का हिस्सा नहीं थे। अदालत ने कहा कि जेल अधिकारियों को उसके घर से मिलने वाले भोजन के बारे में पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने न तो आदेश का अनुपालन न करने को अदालत के ध्यान में लाया और न ही यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाया कि वह अपने चिकित्सक द्वारा निर्धारित नहीं किए गए खाद्य पदार्थों का सेवन न करे।

अदालत ने केजरीवाल की उस अर्जी को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसमें उन्होंने तिहाड़ जेल अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से रोजाना 15 मिनट अपने डॉक्टर से परामर्श करने की अनुमति दी जाए।

उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी किए गए समन को चुनौती याचिका पर सुनवाई 15 मई तय कर दी।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने आप नेता को ईडी द्वारा पेश जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए समय दिया, जिसे उच्च न्यायालय द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने से इन्कार करने के बाद 21 मार्च को एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया था। ईडी के वकील ने दलील दी कि याचिका निरर्थक हो गई है, क्योंकि केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

एजेंसी के वकील ने अदालत को बताया कि गिरफ्तारी को केजरीवाल ने एक अलग याचिका में चुनौती दी थी, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था और उनकी अपील वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में लंबित है। पीठ ने ईडी के जवाब पर केजरीवाल के वकील से पूछा कि मामले में अब क्या बचा है।

केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह ईडी के रुख पर एक प्रत्युत्तर दाखिल करेंगे, जिसमें इस बात पर जोर दिया जाएगा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोधी एजेंसी द्वारा की गई प्रारंभिक कार्रवाई कानून (पीएमएलए) के अनुसार नहीं है।

 



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