गौशालाओं को करोड़ों का अनुदान, कागजों में संरक्षण,गौवंश सड़कों पर, सूची संलग्न 

खास खबर            Sep 22, 2017


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।
गौ-माता को लेकर पूरे देश में राजनैतिक स्वार्थ के लिये प्रंपच के लिये चल रहा है। सच है कि गाय तो हमारी माता है पर इसकी सेवा-करना नहीं आता है। कल 22 सितंबर को तडके छतरपुर जिला मुख्यालय से महज 14 किमी दूर धमौरा गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैठी 7 गाय की ट्रक से कुचलने से मौत हो गई। प्रतिदिन गौवंशों की मुख्य सडको पर घूमने से होने वाली मौतों ने गौशालाओं की वैधानिकता पर सवाल खड़े कर दिये हैं। करोड़ों रूपये इन गौशालाओं को अनुदान प्राप्त हो रहा है फिर, क्यो गौंवंश सड़को पर भटकता नजर आ रहा है? क्या गाय नाम पर दुकानें खुली हैं? 

यह सवाल तब उठा था जब स्वयं प्रधानमंत्री ने इस पर सवाल उठाये थे। रोज गौवंश की सड़क पर होने वाली मौतों से जाहिर होता है कि सच में गाय के नाम पर सिर्फ दुकानें ही संचालित हैं। कटु सत्य है कि इसके अधिकांश दुकानदार भाजपा से ही जुड़े हैं, जो गाय के नाम पर सड़कों पर उतर राजनीति तो करते हैं लेकिन सड़कों पर घूम रही गौमाता की उन्हें फिक्र नहीं है। राजनीति का अध्याय बनते जा रहे गौंवंश की संख्यां में होती कमी कहीं गौवंश को ही समाप्त ना कर दे अब यह आंशंकाये कुलबुलाने लगी हैं। 

सरकार का रिकार्ड बताता है कि गौवंश की संख्यां में प्रतिसाल कमी आती जा रही है। सरकार के किसान पोर्टल के अनुसार सागर संभाग के पांच जिलो में 2012-13 की पशु गणना हुई थी जिसमें 24 लाख 93 हजार 363 गौधन की सख्यां थी। इसके पूर्व 2007 की गणना में सागर संभाग के पांच जिलो में गौवंश की संख्यां 31 लाख 86 हजार 435 थी। आंकडे गवाही देते हैं कि पांच साल में 6 लाख 99 हजार 72 गौवंश घटा है। 

हालात यही रहे तो आने वाले दिनो में गौंवंश भी विलुप्त पशु में ना आ जाये। यह हालात तब है जब मध्यप्रदेश में हजारो की संख्यां में गौशालाये संचालित है जिन पर करोडो रूपये सरकार अनुदान दे रही है। छतरपुर जिले की बात की जाये तो वर्ष 2010 से 2016 तक 12 गौशालाओ को सरकार ने 1 करोड 3 लाख 55 हजार 717 रूपये का अनुदान दिया है। इसके अतिरिक्त करीब 20 लाख रूपये गौशालाओ के अंधोसंरचना निर्माण के लिये अनुदान दिया गया है। इनमें कई गौशालायें ऐसी हैं जिनके पास अकूत दौलत वाली संपत्ति है। इसके बाद भी गौवंश का सड़कों पर घूमना उन आरोपो को बल देता है कि गाय के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। गौशालाओ को गाय की संख्यां के आधाार पर अनुदान मिलता है। जिनका गणित पशु चिकित्सक के पास होता है। 

आरोप लगते हैं कि गायों की संख्या गलत दर्ज की जाती है जिससे अधिक अनुदान प्राप्त किया जा सके। अगर ऐसा ना होता तो सडको पर भटकता गौवंश दिखाई नही देता। मजेदार है कि मध्यप्रदेश सरकार ने गौवंश के संरक्षण के लिये गौपालन एंव पशुधन संवर्धन बोर्ड बना रखा है। जिसके अध्यक्ष केा राज्यमंत्री का दर्जा दे रखा है। जिनका बुंदेलखंड में अधिकांश दौरा होता रहता है। सडको पर हजारो की संख्यां में भटकने वाले गौवंश की हकीकत भी वे जानते होगे। अफसोसजनक कि तामझाम वाले इस पद की मर्यादा विपरीत कागजों में गौवंश का संरक्षण हो जाता है। बैठके हो जाती है पर गौवंश को बैठने का स्थान नहीं है। 

धीरज चतुर्वेदी बुंदेलखंड मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं उनसे संपर्क 9425145264 पर किया जा सकता है।
 

 


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