तीन सुर्खियां, तीन अफ​सर! सच में IAS बड़े होते हैं, पर असली खुदा तो इनके मातहत अफसर होते हैं

खास खबर            Jan 07, 2019


राकेश दुबे।
आज की सुर्ख़ियों में भारतीय प्रशासनिक सेवा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और उनके मातहत ही संविधान में वर्णित कार्यपालिका हैं। इस कार्यपालिका के स्याह, सफेद और उज्ज्वल चेहरे ही देश की छवि बनाते बिगाड़ते हैं।

ये तीन अलग-अलग सुर्ख़ियां भारत के नागरिकों को यह समझाने के लिए काफी हैं कि गलती कहाँ है और क्यों ? सबसे पहली अच्छी बात और उज्ज्वल सुर्खी।

2002 बैच के आईएएस टॉपर अंकुर गर्ग ने 'इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है' वाली कहावत को सच कर दिखाया है। अंकुर ने हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 170 में से 171 अंक हासिल कर इस बात को सही साबित कर दिखाया है कि इंसान अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर कुछ भी हासिल कर सकता है।

अंकुर गर्ग हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 'इंटरनेशनल डेवेलपमेंट' की पढ़ाई कर रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में मैक्रो इकोनॉमिक्स में 170 में से 171 अंक हासिल करते हुए हर किसी को हैरान कर दिया है|

वहीं अधिकारी अंकुर गर्ग ने अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने पिता को देते हुए कहा कि मेरे पिता बचपन में मुझसे जो कहते थे वह सच साबित हो गया|अंकुर गर्ग ने कहा कि 'जब में स्कूल में था, मेरे पिता हमेशा मुझसे कहते थे कि 10 में से 10 लाना कोई बड़ी बात नहीं है। यह पर्याप्त नहीं है।

हमेशा कोशिश करो कि तुम्हें 10 में से 11 अंक मिलें। कीर्तिमान बनाने वाले अंकुर की यह बात इसलिए भी खास है क्योंकि उनके इस कीर्तिमान पर जेफरी फ्रैंकेल ने साइन किया है।

जेफरी फैंकेल एक मशहूर इकोनोमिस्ट हैं और हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल में प्रोफेसर हैं। प्रतिभा के दम पर ही भारतीय प्रशासनिक और अन्य सेवाओं में चयन होता है। कुछ उज्ज्वल नाम अंकुर की तरह होते है तो कुछ बी। चन्द्रकला की तरह तो कुछ पी दयानन्द की भांति।

आई ए एस बी चंद्रकला के घर जिस दिन खनन घोटाले के मामले में सीबीआई का छापा पड़ा, उससे महज नौ दिन पहले ही तेलंगाना में उन्होंने एक प्रॉपर्टी खरीदी थी। यह प्रॉपर्टी एक आवासीय प्लॉट के रूप में है। 107 नंबर का यह प्लॉट तेलंगाना के मलकाजगिरी जिले के ईस्ट कल्याणपुरी में है।

उन्होंने 27 दिसंबर 2018 को ही इस प्लॉट की रजिस्ट्री कराई थी। खास बात यह है कि 22.50 लाख रुपये के इस प्लॉट को उन्होंने बिना किसी बैंक लोन के खरीदा। छापे से तीन दिन पहले ही चंद्रकला की ओर से एक जनवरी 2019 को आईपीआर (Immovable Property Return)दाखिल किया गया था।

वर्ष 2018 की संपत्तियों के ब्योरे इस रिटर्न में उन्होंने भरे। अपनी कुल सैलरी 91400 रुपये महीना बताई। एक जनवरी 2019 को भरे इस रिटर्न में बी चंद्रकला ने अपने पास सिर्फ इसी प्रॉपर्टी की जानकारी दी है। उसके पूर्व के वर्षों में भरे रिटर्न में उन्होंने जिन संपत्तियों की सूचना दी थी, उसके बार में नए रिटर्न में कोई सूचना नहीं है।

सवाल उठता है कि क्या चंद्रकला ने पूर्व की सारी प्रॉपर्टियां बेच दीं, या फिर किन वजहों से उन्होंने नए रिटर्न में उसकी सूचना नहीं दी।

वैसे हर साल के रिटर्न में उन सभी संपत्तियों की जानकारी देनी होती है, जो संबंधित अफसर और परिवार के पास होती हैं, भले ही इसकी सूचना आप पूर्व में दे चुके हों।

ऐसे भी कई अफसर देश में है जो अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल “जनकाज” और “राजकाज” की जगह कहीं और इस्तेमाल करते है। ऐसे ही अफसरों का राजनीतिज्ञों से कुत्सित गठजोड़ बन जाता है जो कभी ‘इसके’ तो कभी ‘उसके’ कहलाते हैं। सरकार बदलते ही पारितोषिक या दंड पाते हैं। मध्यप्रदेश में ऐसे ही “ईनाम” इन दिनों बंट रहे हैं।

तीसरी सुर्खी छत्तीसगढ़ से है। इसे सत्ता की सनक कहें या फिर कुर्सी की खुमारी, एक मंत्रीजी ने आई ए एस अफसर को धमकाना शुरू कर दिया, जो चौकाने वाला है। राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा ने अफसर पी दयानंद को निपटा देने की धमकी खुले आम दी।

दरअसल, पी दयानंद पिछले शासन कोरबा के कलेक्टर थे, उस दौरान उन्होंने जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ मिली शिकायतों पर कार्रवाई की थी। सच में आई ए एस अफसर बड़े होते हैं, पर असली खुदा तो इनके मातहत अफसर होते है, जिनकी प्रतिभा [?] दुधारी तलवार होती है। जो हमेशा काटती ही है।

 



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