सेना की पृष्ठभूमि पर फॉर्मूला फिल्म अय्यारी

पेज-थ्री            Feb 17, 2018


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
अय्यारी ने निराश किया। नीरज पांडे ने इसके पहले ए वेडनेस डे, स्पेशल 26, एमएस धोनी, बेबी जैसी फिल्में दी हैं। अय्यारी में एक मनमोहक गाने के अलावा कुछ भी विशेष नहीं है। गलतियों की शुरूआत ही डिस्क्लेमर से होती है, जिसमें अनेक त्रुटियां शुरूआत में ही मूड ऑफ कर देती है। सेना की पृष्ठभूमि को प्रचारित किया गया है, लेकिन यह फिल्म भ्रष्ट नेताओं, हथियारों की खरीद में भ्रष्टाचार, मीडिया के सतही कवरेज आदि पर ही खत्म हो जाती है।

कई बार सेना की बेइज्जती भी की गई। सेना के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा गोली लाओ कहने पर अर्दली विटामिन डी की गोली का डिब्बा ले आता है। यह बात शायद ही किसी को हजम हो। मजाक में भी यह बात संभव नहीं दिखती। सिद्धार्थ मल्होत्रा एक दृश्य में ब्रिटिश महिला के गेटअप में अलग लगे।

फिल्म की शुरूआत होती है ब्रिगेडियर के. श्रीनिवास बने राजेश तेलंग से, जो आर्मी के दो अधिकारियों के बारे में किसी पुलिस थानेदार की तरह पूछताछ करते नजर आते हैं। फिल्म में कलाकारों की भीड़ है। सिद्धार्थ मल्होत्रा, मनोज वाजपेयी, रकुल प्रीत सिंह, अनुपम खैर, नसीरुद्दीन शाह, राजेश तेलंग, पूजा चोपड़ा, कुमुद मिश्रा, आदिल हुसैन आदि हैं। फिल्म में जिस तरह एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल को हथियारों की दलाली करते हुए सेनाध्यक्ष के कार्यालय में दिखाया गया है, वह जरा भी विश्वसनीय नहीं है। सेना से रिटायर होने या मुक्त होने के बाद कई अधिकारी अंतर्राष्ट्रीय हथियार निर्माता कंपनियों की दलाली करने लगते है। इस बात में एक हद तक ही सच्चाई है।

फिल्म में मनोज वाजपेयी कहते है कि कश्मीर कोई समस्या नहीं है, वह इंडस्ट्री है। कश्मीर की समस्या रहने से कई लोगों का धंधा चल रहा है और वे चाहते है कि वह धंधा चलता रहे, इसलिए कश्मीर की समस्या का कोई हल कभी नहीं होगा। कश्मीर में आतंकियों की गतिविधियों से जुड़े कुछ दृश्य भी ठूंसे गए लगते है। फिल्म में ऐश्वर्या हाउसिंग सोसायटी का मामला भी ठूंस दिया गया है।

फिल्म की नायिका एक सॉफ्यवेयर इंजीनियर है और वह अपने प्रेमी के कहने पर कुछ भी करने को तैयार हो जाती है। प्रेमी के कहने पर लंदन चली जाती है, वहां बैंक में फर्जी खाते खोलकर मनी ट्रांसफर भी कर देती है। मेजर जय बक्षी बने सिद्धार्थ मल्होत्रा और उनके वरिष्ठ अधिकारी के रूप में मनोज वाजपेयी के तमाम संवाद बनावटी लगते है। एक दृश्य में तो निर्देशक को अय्यारी का मतलब भी बताना पड़ा। मनोज वाजपेयी को अय्यार कहने वाले से वह पूछता है कि अय्यारी का मतलब भी बता दो या गूगल करूं। बताया गया कि अय्यारी मतलब वेश बदलने वाला।

फिल्म के दोनों मुख्य पात्र आर्मी इंटेलिजेंस यूनिट के सदस्य है और जिस तरह आर्मी इंटेलिजेंस यूनिट को दिखाया गया है, वह सीबीआई की तरह काम करती दिखती है। फिल्म की माने तो सेना में भी दो वर्ग है, एक स्पष्ट तौर पर भ्रष्ट है और दूसरा भ्रष्टाचार के विरोध में काम करने वाला वर्ग। निर्देशक ने यह मान लिया है कि सेना के भी बहुत से अधिकारी भ्रष्ट है।

यह युद्ध फिल्म नहीं है। यह बॉलीवुड थ्रिलर फिल्म है, जिसे सच्ची घटना पर आधारित बताकर प्रचारित किया जा रहा है। 2 घंटे 40 मिनिट की यह फिल्म बीच-बीच में बेहद उबाऊ हो जाती है।

 



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