फिल्म समीक्षा:बॉलीवुड के पप्पू की एक और बकवास फिल्म जग्गा जासूस

पेज-थ्री            Jul 15, 2017


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।

रणबीर कपूर बॉलीवुड के पप्पू हैं। उनकी फिल्म जग्गा जासूस देखने की मिस्टेक गलती से भी न करना, वरना ‘सिर में हेडेक’ तय है। लगता है अनुराग बसु कपूर खानदान से कोई पुरानी दुश्मनी निकाल रहे हैं। तीन साल तक फिल्म अटकाई, रणबीर से पैसे भी लगवाए और रोल ऐसा दिया, जिसमें वह पूरी तरह ‘उल्लू का पट्ठा’ है। रणबीर और कैटरीना की जोड़ी लोगों को अजब प्रेम की गजब कहानी की याद दिलाती है, लेकिन इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है।

दोनों के निजी रिश्तों का असर भी इस फिल्म में है, जिसमें उनकी केमेस्ट्री ही गड़बड़ है। बची-खुची कसर कहानी और निर्देशन में पूरी कर दी। अनुराग बसु की मेहरबानी रही कि इस फिल्म में 29 गानें नहीं है, जैसी की अफवाह थी। फिल्म का हकला हीरो हर बात कहने के लिए अपने दिमाग के दाएं हिस्से का उपयोग करता है, जो रचनात्मक कामों के लिए है। हकलाहट से बचने के लिए वह हर संवाद गाकर बोलता है। उसकी देखादेखी हीरोइन भी गाकर डायलॉग बोलने लगती है। 5-10 मिनिट के ऐसे दृश्य झेले जा सकते थे पर पूरी फिल्म में यह सब झेल लेना कोई आसान नहीं।

फिल्म में प्रीतम का संगीत मधुर है। गानों के बोल नयापन लिये हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को, थाईलैण्ड और भारत के भी कुछ हिस्सों की लोकेशन बेहद सुंदर है, लेकिन फिल्म की कहानी इतनी गड़बड़ है कि गड़बड़झाले का पैमाना कही जा सकती है। सुभाषचन्द्र बोस के बर्मा वाले रास्ते से लेकर पूरूलिया हथियार काण्ड, आईएसआईएस से लेकर नक्सली गुटों तक और उत्तर पूर्व के आतंकी वामपंथी संगठनों से लेकर ओसामा बिन लादेन तक सभी को एक सूत्र में पिरो लिया गया है।

कहानी बनाई है हथियारों की अवैध खरीद फरोख्त को लेकर। 34 साल के रणबीर को किशोर उम्र का हीरो स्वीकार कर पाना मुश्किल है। हीरो हथियारों के अवैध कारोबार के खिलाफ अभियान में गायब अपने दत्तक पिता की खोज का अभियान चलाता है और अजीबो गरीब तर्क के साथ हीरोइन को अपने साथ जासूसी के लिए ले जाता हैं। हीरोइन पत्रकार हैं, जो पत्रकारिता के अलावा सब कुछ करती हैं।

इस सबके चक्कर में खूबसूरत लोकेशन और नए मिजाज के दिलचस्प गाने एक तरफ रह जाते हैं। कहीं की र्इंट कहीं का रोड़ा की तर्ज पर फिल्म की भानुमती दर्शकों के दिमाग का दही बना देती है। हीरो-हीरोइन भी आपस में प्रेम की पींगे मारते नहीं दिखते, इसलिए फिल्म का रोमांटिक पक्ष भी पानी में चला जाता है। हीरोइन किसी और से प्रेम करती है और संयोगवश हीरो के साथ होती है। निर्माता इसे म्युजिकल एडवेंचर कॉमेडी ड्रामा कह रहे हैं, जबकि यह है म्युजिकल पकाऊ कबाड़ा। विदेश में जाकर भी हीरो-हीरोइन हिन्दी गाने गाते हैं और लोगों से हिन्दी में बात करते है। उनका पीछा कर रहा धोखेबाज गुप्तचर अधिकारी विदेशी पुलिस को भी अपने इशारे पर नचाता है और किसी को भी गोली मारने का आदेश दे देता है, जिसका पालन किया जाता है।

यह फिल्म करीब सालभर पहले रिलीज होने वाली थी, लेकिन रणबीर और कैटरीना के विवादों के कारण अटक गई। रणबीर कपूर के दबाव के बाद फिल्म का कुछ हिस्सा फिर से शूट किया गया, लेकिन फिर भी फिल्म में वह बात नहीं आ पाई। इस फिल्म के साथ दिक्कत यह है कि आप दिमाग घर पर रखकर जाएं, तब भी यह आपकी अपेक्षाओं को पूरी नहीं करती। यह फिल्म रणबीर और कैटरीना की प्रतिभा और फिल्म निर्माण के संस्थानों का दुरुपयोग है।

 



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