पैसे देकर बेवकूफ बनने का शौक है तो देखने जायें स्त्री

पेज-थ्री            Sep 02, 2018


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
क्या आपको पैसे देकर बेवकूफ बनने का शौक हैं? क्या आप केवल कलाकारों के नाम जानकर फिल्म देखने चले जाते हैं? क्या आपके पास बहुत ज्यादा फालतू वक्त हैं? हां भई हां। तो यह फिल्म आप ही के लिए है।

स्त्री नाम देखकर यह मत सोचिये की यह फिल्म महिलाओं के जीवन पर आधारित है या उनके लिए बनाई गई है या इसमें आधी दुनिया की परेशानियां चित्रित की गई है। यह एक नये जोनर की फिल्म है, वह जोनर है मूर्खता!

यह फिल्म देखते-देखते रामसे बंधु और भट्ट बंधु याद आते हैं, वे कितनी भी मेहनत कर लेते, इससे खराब फिल्म बना ही नहीं सकते।

स्त्री के नाम पर भूतनी की कहानी, दिअर्थी संवाद और चिरकुट गाने। झेल सको तो झेल लो। फिल्म समीक्षक जो सितारे बांटते फिर रहे है, उनसे कहो कि वे अपने परिवार के साथ फिल्म देखने जाएं। सारी अकल ठिकाने लग जाएगी।

यह तय है कि स्त्री फिल्म श्रद्धा कपूर के करियर को तबाह करने वाली फिल्म है। श्रद्धा कपूर के फैंस इस फिल्म के बाद उनकी फिल्में देखना छोड़ देंगे और राजकुमार यादव उर्फ राजकुमार राव के भरोसे फिल्म देखना भी खतरे से खाली नहीं है।

हॉरर कॉमेडी फिल्म मतलब यह ऐसी फिल्म है, जिसमें हॉरर है ही नहीं और कॉमेडी के नाम पर छोटे कस्बे के दर्जी की कहानी है।

भूत-भूतनी, जादू-टोना, मंतर, लाल किताब, झाड़ू फूंकना और इस सबसे बढ़कर यह साबित करना की गांव-कस्बे के लोग बेहद मूर्ख होते है, इस पर फिल्म का कथानक है।

कुछ छिछौरे संवाद भी है, जो मंद मती वालों को गुदगुदाते है। फिल्म के निर्देशक का नाम दिनेश विजन है। काश कि नाम के अनुरूप थोड़ा विजन उनमें होता। फिल्म में भोजपुरी गाना भी ठूस दिया गया है।

कपिल शर्मा के शो से भी बदतर फिल्म है। फिल्म का नाम स्त्री के बजाय भूतनी की अधूरी सुहागरात या प्यासी भूतनी होता तो बेहतर था।

 



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