फिल्म समीक्षा: हैप्पी फिर भाग जाएगी, बेचारी हैप्पी कित्ती बार भागेगी ?

पेज-थ्री            Aug 24, 2018


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

हैप्पी 2016 में भागी थी। दो साल बाद फिर भाग गई। पहली बार भागी, तो दर्शक उतना अनहैप्पी नहीं हुए, जितना अब हो गए। पिछली बार वह भागकर गलती से पाकिस्तान पहुंच गई थी। इस बार बाप को मुंबई का बोलकर चीन चली गई। दोनों बार प्रेमी के चक्कर में भागी थी। जिम्मी शेरगिल पिछली बार भी कुंवारा रह गया था, इस बार भी। पिछली बार हैप्पी का भागना थोड़ा तर्क संगत लगा था, इस बार निहायत बेवकूफी भरा। भागने के बाद भी वह गलती पर गलती किए जाती है और असंभव से अंत तक कहानी को पहुंचाकर ही दम लेती है। 

इस फिल्म में दो-दो हैप्पी है। एक अपने पति के साथ चीन जाती है, तो दूसरी अकेली। शंघाई विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का जॉब ज्वाइन करने वाली हैप्पी (सोनाक्षी सिन्हा) ऐसी-ऐसी हरकतें करती हैं, जो अविश्वसनीय लगती है। फिल्म देखकर लगता है कि पंजाब में तमाम बापों को बेटी की शादी के अलावा और कोई काम नहीं। उनकी एक मात्र चिंता, दायित्व और जीवन का लक्ष्य बेटी की शादी करना ही है।

पंजाब में हर तीसरे घर में एक-दो हरप्रीत कौर उर्फ हैप्पी मिल ही जाएगी। शायद ही उनमें से कोई फिल्मी हैप्पी की तरह भकुआ हो। फिल्म में एक के बाद एक ऐसी स्थितियां बन जाती है, जिन पर विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन उन्हें देखते हुए डायरेक्टर की अकल पर जरूर हंसी आती है। कॉमेडी के नाम पर कई बार दर्शकों को सजा भुगतने जैसा लगता है। बीच-बीच में चुटीले संवाद थोड़ी राहत जरूर देते है, जो भारत-पाकिस्तान और चीन के रिश्तों की तरफ इशारा करते है।

नाम के चक्कर में अपहरण के किस्से फिल्मों में पहले भी आ चुके है। अपराधी एक ही नाम वाले व्यक्ति के पीछे पड़े रहते है। कलाकारों की ओवरएक्टिंग ऊबा देती है। पंजाबी गायक और कलाकार जस्सी गिल, सोनाक्षी सिन्हा, डायना पेंटी, अली फजल, जिम्मी शेरगिल, पीयूष मिश्रा मिलकर भी कोई खास रंग नहीं जमा पाते।

ऐसा लगता है कि फिल्म को चीन में नया बाजार तलाशने के इरादे से बनाया गया है। चीन के दर्शकों को समझने के लिए हाल ही में कामयाब हुई फिल्मों की कहानी की तरह कसी हुई कहानी पर फिल्म बनाना जरूरी है। निर्देशक ने दर्शकों को शंघाई घुमाने की अच्छी कोशिश की है। फिल्म के निर्देशक, लेखक और पटकथा लेखक मुजस्सर अजीज हैं और निर्माता आनंद एल. रॉय, जिन्हें तन्नु-मन्नु का ब्याव दो बार करा कर भी चैन नहीं आया, तो हैप्पी को दो बार भगवा दिया।

यही कहा जा सकता है कि हैप्पी बार-बार क्यों भागती हैं, नहीं भागे, तो दर्शकों पर रहम हो।



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