राम मोहन चौकसे।
मध्य प्रदेश में अधिकारियों के तबादलों का सिलसिला जारी है। प्रदेश सरकार के गठन के 55 दिनों में 736 अधिकारियों के तबादले हो चुके हैं।
कुछ अधिकारी तो ऐसे हैं, जिन्हें एक माह मे दो तीन बार तबादला कर दिया है।
भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आरोप लगाया है कि कमलनाथ सरकार एक ओर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्ष्ण दे रही है।
दूसरी ओर कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को लांछन लगाकर प्रताड़ित कर रही है।
ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर वल्लभ भवन से लेकर जिला और तहसील तक कांग्रेस के दलाल ठेकेदार और ट्रांसफर माफिया सक्रिय है।
सरकार लोकसभा चुनाव के लिए पैसा जुटाने के लिए अधिकारियों पर दबाब बना रही है।
कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जबाब देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने व्यवस्था चौपट की थी। हम व्यवस्था सुधार रहे हैं।
17 दिसंबर 2018 को सरकार के गठन के बाद 111 आई ए एस,138 आई पी एस,185 राज्य पुलिस सेवा,170 नगरीय विकास ,49 उच्च शिक्षा, 30 राजस्व,4 स्कूल शिक्षा के अधिकारियों के तबादले किये जा चुके हैं।
सरकार के गठन के बाद हर दिन 13 अधिकारी बदले गए।
भाजपा सरकार के कद्दावर अधिकारी आईएएस प्रमोद अग्रवाल मुख्यमंत्री सचिवालय से हटाकर नगरीय विकास विभाग में भेजा गया।
डेढ़ माह में उन्हें नगरीय विकास विभाग से हटा दिया गया। एक अधिकारी के तबादले में 10 से 30 हजार तक खर्च शिफ्टिंग,रेनोवेशन में खर्च होता है।
लेखक मप्र के वरिष्ठ एवं स्वतंत्र पत्रकार हैं यह आलेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है।
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