भोपाल के स्ट्रांग रूम की बंद हुई एलईडी,कांग्रेस और आप ने लगाया ईवीएम छेड़छाड़ का आरोप

राज्य            Nov 30, 2018


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की पुरानी जेल में स्ट्रांग रूम बनाया गया है। जहां 7 विधानसभा क्षेत्रों की ईवीएम रखी गई है। आज सुबह डेढ़ घंटे तक स्ट्रांग रूम के बाहर लगाई गई एलईडी बंद पाई गई।

इसे लेकर कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि स्ट्रांग रूम में ईवीएम के साथ में छेड़छाड़ की गई है। कांग्रेस ने मांग की है कि इस मामले की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बीएल कांताराव को जांच करनी चाहिए।

भोपाल कलेक्टर सुदामा खाड़े ने भी माना है कि स्ट्रांग रूम के बाहर लगी एलईडी बंद होने की खबर सही है लेकिन यह हालात बिजली जाने की वजह से हुआ। कांग्रेस के दबाव के चलते कलेक्टर के साथ कांग्रेस नेताओं ने जायजा लिया।

कांग्रेस ने कलेक्टर से मांग की है कि यदि ऐसी घटनाएं होती है तो तत्काल हमारे दो व्यक्तियों को स्ट्रांग रूम में बैठाने की व्यवस्था की जाए। जिसे कलेक्टर सुदामा खड़े ने मानने का आश्वासन दिया।

हालांकि कांग्रेस की मांग है कि डेढ़ घंटे में आखिर हुआ क्या इसकी जानकारी अभी तक कोई नहीं दे रहा है इस लिए कांग्रेस इसकी जांच के लिए चुनाव आयोग में शिकायत करेगी।

उधर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने भी इसे बड़ी साजिश बताया है।

अग्रवाल ने कहा है कि प्रशासन ने जो जानकारी दी उसमें दो एल ई डी का जिक्र किया गया है जबकि बाहर हमें सिर्फ तीन कैमरे का इमेज दिख रहा है जिसमे स्ट्रांग रूम का कैमरा हर 10 से 15 मिनट में जल बुझ हो रही है या तो कनेक्शन में समस्या है या फिर ये कैमरा लूप किया गया है। वहीं अंदर स्ट्रांग रूम तक कोई दूसरी एल ई डी नहीं पायी गई। अंदर स्ट्रांग रूम तक हमें नहीं जाने दिया गया। बैरीकेट लगा कर रोक दिया गया है और स्ट्रांग रूम के बाहर का दरवाजा खुला हुआ था, जिसमें एक सीआरपीएफ का जवान वीडियोग्राफी कर रहा था।

उन्होंने बताया कि 11:30 से 1:20 बजे तक बाहर की एल ई डी बन्द थी। और एल ई डी की गुणवत्ता बहुत कमजोर है जिससे स्ट्रांग रूम का लॉक भी नहीं दिख पा रहा है। इसके बाद 2:25 बजे जनरेटर लाया गया जोकि करीब 2 घंटे तक चालू नहीं किया गया। अंदर बहुत से लेबर काम करते देखे गए जिनकी संख्या लगभग 10 से 14 के आस पास थी। जिम्मेदार व्यक्ति के नाम पर एक थ्री स्टार अधिकारी आर.एन.यादव जी को बिठा दिया गया है। तकनीकी तौर पे वो किसी भी समस्या का जवाब नहीं दे पा रहे थे और हर जवाब के लिए उच्च अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा गया।

 



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