मध्यप्रदेश कैबिनेट का बड़ा फैसला:भू-राजस्व संहिता में हुआ संशोधन,भास्कर चौबे बने PSC के अध्यक्ष नियुक्त

राज्य            Jun 19, 2018


मल्हार मीडिया भोपाल।
अगर मध्यप्रदेश विधानसभा में भूराजस्व संहिता 1959 में किए गये बदलावों के साथ विधेयक पारित हो गया तो अब लगातार तीन साल किराए की जमीन पर लगातार खेती करने से मिलने वाला भू-स्वामी का अधिकार अब नहीं मिलेगा। इसके लिए भू-राजस्व संहिता के मौरूषी के अधिकार को विलोपित किया जाएगा।

इस प्रावधान के चलते लोग अपनी जमीन किराए पर नहीं देते थे और ये खाली पड़ी रहती थी। इससे कृषि विकास दर के साथ उत्पादन भी प्रभावित होता था।

सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में भू-राजस्व संहिता 1959 में व्यापक बदलाव का विधेयक लाएगी। शहरी क्षेत्रों में भूखंड को फ्री-होल्ड कराने के बाद भी भू-स्वामी का अधिकार नहीं मिल पाता था, वो समस्या भी अब दूर हो जाएगी। शहरी क्षेत्रों में भूमि प्रबंधन की व्यवस्था बनाई जाएगी।

आबादी की जगह नक्शे में अब भू-स्वामी को दर्शाया जाएगा। इसके बाकायदा पत्र भी दिए जाएंगे। बैठक में इसके अलावा पेटलावद मोहर्रम जुलूस विवाद संबंधी न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी जाएगी। इसमें आरएसएस कार्यकर्ताओं को क्लीचचिट दी गई है।

वहीं भास्कर कुमार चौबे को मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

कैबिनेट बैठक के बाद जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि भू-राजस्व संहिता की 122 धाराओं में बदलाव किए गए हैं। संहिता को किसान के साथ जन उपयोगी बनाया गया है। राजस्व मंडल से राजस्व न्यायालयों के नियम बनाने की शक्ति वापस ले ली गई है। नामांतरण आदेश पारित होने के बाद जब तक इसकी नि:शुल्क प्रति संबंधित व्यक्ति को नहीं मिल जाएगी, तब तक प्रक्रिया को पूरा नहीं माना जाएगा। सीमांकन के लिए निजी एजेंसियों को लाइसेंस दिए जाएंगे।

सीमांकन में विवाद होने पर तहसीलदार सुनवाई करके आदेश देंगे। इसकी अपील अनुविभागीय अधिकारी के पास होगी और उसका फैसला अंतिम होगा। मामूली बातों पर अपील खारिज करने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। डायवर्सन के लिए अब व्यक्ति को भटकना नहीं पड़ेगा। मास्टर प्लान में जो लैंडयूज दिया गया है, वैसा ही भूमि का उपयोग करने पर तय शुल्क चुकाकर जो रसीद मिलेगी उसे ही प्रमाण मान लिया जाएगा।

अब बंदोबस्त व्यवस्था बंद की जायेगी। जो बंदोबस्त 30 साल में एक बार होता था, यह व्यवस्था खत्म करके कलेक्टरों को अधिकार दिया गया है वे जहां जरूरी समझेंगे तो बंदोबस्त करा सकेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों के पटवारी हलके की तरह शहरी क्षेत्रों में सेक्टर और ब्लॉक की व्यवस्था होगी। सार्वजनिक उपयोग के लिए जमीन आरक्षित करने का अधिकार कलेक्टर को होगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि-परिषद की बैठक में आज मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2018 को अनुमोदन प्रदान करने के साथ-साथ मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर भास्कर कुमार चौबे की नियुक्त करने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। मंत्रि-परिषद ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन के लिये महिला एवं बाल विकास विभाग को कार्योत्तर स्वीकृति भी प्रदान की।

मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2018 के मुख्य बिंदु

मंत्रि-परिषद ने भू-राजस्व संहिता में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। संशोधन में नामांतरण, जीवनकाल में भूमि के बंटवारे, सीमांकन में निजी अधिकृत ऐजेंसियों की मदद लेने, डायवर्सन, सीमांकन, बन्दोबस्त,बटाई व्यवस्था आदि के संबंध में प्रावधान है ।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का क्रियान्वयन करेगा महिला बाल विकास विभाग

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में वर्ष 2017-18 से प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन के लिये महिला बाल विकास विभाग को कार्योत्तर अनुमोदन प्रदान किया। मंत्रि-परिषद ने वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक योजना के क्रियान्वयन के लिये 1280 करोड़ 35 लाख रूपये की स्वीकृति भी दी।

 

मंत्रि-परिषद ने शिक्षक प्रशिक्षण के लिए शिक्षण प्रशिक्षण संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए संचालित 'शिक्षक शिक्षा योजना' के अंर्न्तगत शासकीय शिक्षा महाविद्यालयों द्वारा अकादमिक गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिये वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक 55 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की। इसी क्रम में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान एवं इंस्टीटयूट ऑफ एडवांस स्टडीज इन ऐजुकेशन के लिये वर्ष 2017-18 से 2019-20 की अवधि के लिये 38 करोड़ 42 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई।


मंत्रि-परिषद ने मदरसा आधुनिकीकरण के लिये वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक 3 वर्षीय कार्य योजना के लिये 99 करोड़ 50 लाख रूपये की स्वीकृति दी।

मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लघु एवं सीमांत कृषकों को उच्च गुणवत्ता युक्त बीज उपलब्ध करवाने के लिये सूरजधारा योजना का वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक निरंतर संचालन के लिये 159 करोड़ 67 लाख रूपये की राशि का अनुमोदन किया। इसी के साथ, नवीन खाद एवं बीज गुण नियंत्रण प्रयोगशाला के निरंतर संचालन के लिये 38 करोड़ रूपये का अनुमोदन प्रदान किया गया।


मंत्रि-परिषद ने भोपाल, इन्दौर,ग्वालियर, जबलपुर और रीवा चिकित्सा महाविद्यालयों में बर्न यूनिट की स्थापना के लिये 30 करोड़ 67 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की।


मंत्रि-परिषद ने गैस प्रभावित क्षेत्रों में वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक निर्माण कार्य के संचालन और उनकी निरंतरता के लिये 5 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की। स्वास्थ्य सेवायें गैस राहत को वर्ष 2018-19 से 2019-20 की अवधि के लिये अम्ब्रेला योजना के निरंतर संचालन को भी स्वीकृति प्रदान की गई।

मंत्रि-परिषद ने सागर जिले की बंडा सिंचाई परियोजना के कुल सैच्य क्षेत्र 80 हजार हेक्टर के लिए 2610 करोड़ 54 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति एवं निवेश निकासी की अनुमति प्रदान की।

दतिया जिले की माँ रतनगढ़ बहुउददेशीय परियोजना के कुल सैच्य क्षेत्र 78 हजार 484 हेक्टर के लिए रूपये 2 हजार 244 करोड़ 97 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति और निवेश निकासी की अनुमति प्रदान की गई।

मंत्रि-परिषद ने राजीव गांधी प्रौदयोगिकी विश्वविद्यालय भोपाल के घटक शहडोल इंजीनियरिंग महाविद्यालय के लिये 41 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की। यह राशि विश्वविद्यालय स्वयं की निधि से उपलब्ध करायेगा।

मंत्रि-परिषद ने नवीन मत्स्यालय भवन के निर्माण के लिये 30 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की। यह भवन भोपाल के भदभदा मत्स्य बीज प्रक्षेत्र पर विभाग को उपलब्ध 3.90 एकड़ भूमि में निर्मित होगा।

 



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