जबकि...लड़कीपना बचाये रखने की बेचैन जद्दोजहद

वामा            Dec 14, 2017


बनारस से ज्योति तिवारी।
जबकि कोई प्रसिद्ध कवि सीबीआई के दायरे में आया है। जबकि किसी प्रसिद्ध लेखिका को कोई बडा सम्मान देने की घोषणा हुई है। जबकि फिर कहीं कोई मानवता को शर्मशार करती नृशंस हत्या हुई है। जबकि कहीं किसी विकास प्रदेश में मतदान शुरु है। जबकि बुद्धिजीवियों के लिए यह लिखने और बोलने का सबसे मुफीद समय है। जबकि निजाम की तानाशाही चरम पर है। जबकि किसी कोने-अतरे गाँव में पडी लडकी के जेहन में ढेर-ढेर कवितायें आ रही हैं। जबकि पूरे देश में उथल-पुथल मची है। जबकि हर कोई हैरान,परेशान और ठगा सा है।

तभी इन सब पर नजर जमाये पर इन सबसे दूर रहने का अभिनय करती एक और लडकी अपने पिता के सामने बेतकल्लुफी से खड़ी हो बड़ी ही सहजता से कहती है कि-'मेरी शादी कर दीजिए पापा!'

बात जितनी सहजता से कही गई जरुरी नहीं था कि वह उतनी ही सहजता से ग्रहण होती कि पिता की कनपटी लाल हो गई कि लडकी इतनी निर्लज्ज!कि माँ की तीखी जुबान और बर्तनों की तीखी खड़खड़ाहट आपस में होड़ करने लगे कि मैंने यही संस्कार दिये थे!इतनी बेशर्मी!कि भाई कहीं किसी कोने में हँस रहा है कि तुम पढी लिखी गँवार हो!शुद्ध मूर्ख!..पर लडकी क्या कर रही है?क्या सुन रही है? क्या देख रही है?

लड़की मौन है पर उसका अतीत बोल रहा है कि वह दिल की टूट चुकी सबसे नरम टुकड़ी को फिर से जोड़ना चाहती है कि वह पहले से अधिक संवेदनशील,पहले से अधिक मानवीय,पहले से अधिक भावुक होना चाहती है। क्योंकि दुनियाँ के भौतिक चोंचलों से इतर वह गृहस्थी और प्रेम की दुनियां में रमना चाहती है।

कि वह एक वास्तविक मनुष्य पैदा करना चाहती है..लड़की जानती है कि आस-पास बहुत बुरा घटित हो रहा कि यह जश्न का समय नहीं है..पर वह यह भी जानती है कि यह समय एक नई पहल का है..।

यह समय एक नये भरोसे का है..लड़की डर रही है कि यह नफरत के नये,तीखे,सुनियोजित और सुलझे तरीके कहीं उसके दिल दिमाग पर हावी ना हो जाये..कि लड़की नफरत के बदले नफरत के बजाय प्रेम और साथ में भरोसा करने लगी है कि लडकी अपना लड़कीपना बचाये रखने की बेचैन जद्दोजहद कर रही है।

(बातें अधूरी हैं...उम्मीद की जल्दी ही पूरी हो)

 


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