मल्हार मीडिया ब्यूरो।
कालेधन पर लगाम और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम से देश की अर्थव्यवस्था को करीब 5 लाख करोड़ का लाभ हुआ है। सरकार की एक उच्च स्तरीय आंतरिक आंकलन रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
हमारे सहयोगी अखबार मेल टुडे को इस रिपोर्ट की कॉपी मिली है, जिसमें बताया गया है कि पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री के अचानक लिए इस फैसले के वक्त हमारी अर्थव्यवस्था में करीब 17.77 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे। वहीं मई 2017 आते-आते उपयोग किए जा रहे बैंक नोटों का मूल्य करीब 19.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
बता दें कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन अचानक बंद किए जाने के फैसले के बाद नए नोटों की उस रफ्तार से पूर्ति नहीं होने के कारण देश की लाखों जनता को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। प्रधानमंत्री ने इस ऐलान के वक्त कहा था कि नोटबंदी का कदम कालेधन और जाली नोटों पर लगाम लगाने के साथ भारत को निशाना बनाने वाले आतंकियों की फंडिंग खत्म करने के लिए जरूरी कदम था।
सरकार की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में इस वक्त 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं, जो कि सारी ट्रांजैक्शन जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हैं। इसमें यह भी अनुमान लगाया गया है कि नोटबंदी की वजह से भारत का कुल निजी आयकर राजस्व भी अगले दो वर्षों में बढ़कर दोगुना हो जाएगा और इसके कुछ लाभ अभी से दिखने भी लगे हैं।
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सेल्फ टैक्स असेसमेंट फॉर्म भरने वाले लोगों की संख्या में 23.8 फीसदी का उछाल देखा गया है। सरकार का मानना है कि इस 23.8 फीसदी में से कम से कम 10 फीसदी का बढ़ोतरी को नोटबंदी की वजह से ही देखने को मिली है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी का एक सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि लोग डिजिटल लेनदेन की तरफ आकर्षित हुए हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 300 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन दर्ज की गई। वहीं सरकार का अनुमान है कि वित्तवर्ष 2017-18 के शुरुआती हफ्तों का चलन आगे भी जारी रहा तो इस साल डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़कर 2,500 करोड़ तक जा सकती है।
हालांकि, यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस अप्रैल के अंत में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इस वक्त अर्थव्यवस्था में नकदी की मौजूगी नोटबंदी न किए जाने की हालत के मुकाबले करीब 5 लाख करोड़ रुपये कम है।
इससे यह भी पता चलता है कि लोगों के पास रखी नकदी की संख्या में भी कमी आई है। चूंकि इस तरह घर में पड़े पैसों का अर्थव्यवस्था के विकास में कोई योगदान नहीं होता, ऐसे में इसकी संख्या में कमी देश के फायदेमंद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के दूसरे फायदों में टैक्स आधार का बढ़ना, डिजिटल लेनेदेन में इजाफा, बैंक जमा में बढ़ोतरी और हाउसिंग सेक्टर में मजबूती भी शामिल है।
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