मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारत में आनलाइन सामान मुहैया करने वाली रिटेल कंपनियाँ फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और ऐमजॉन ने 1 अप्रैल से लागू होने वाली जीएसटी कानून के ड्राफ्ट में स्रोत पर टैक्स कटौती के नियमों पर आपत्ति जताई है। टीसीएस (टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्ट) के तहत ई कॉमर्स साइट पर ऑनलाइन खरीदादरी करने के बाद खरीदार दवारा किए जाने वाले भुगतान का एक हिस्सा काटकर विक्रेता को उसे सरकार के पास जमा कराना होगा।
कंपनियों के मुताबिक इससे सालाना 400 करोड़ रुपये की राशि फंस जाएगी। इससे दुकानदार ऑनलाइन बिक्री से हतोत्साहित होंगे। जीएसटी कानून के इस मसौदे को इस महीने के अंत तक अंतिम रूप दिया जाना है।
नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के आयोजन में फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘हमारे हिसाब से हमने पूरे सिस्टम में व्यापक अंतर पैदा किया है। ऑनलाइन साइट पर हजारों लोग व्यापार करते हैं और इनमें से कई उद्योगपति हैं। कुछ ऑफलाइन रिटेलर हैं।’ उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स उद्योग का मानना है कि जीएसटी भविष्य वाली कर प्रणाली है और इसका क्षेत्र पर बदलाव लाने वाला प्रभाव होगा।
उन्होने कहा कि टीसीएस एक मुद्दा है। लेकिन हमारा अनुमान है कि इससे करीब 400 करोड़ रुपये की पूंजी फंसेगी, इसका नुकसान विक्रेता को उठाना पड़ेगा। ऐसे में विक्रेता ऑनलाइन आने से हिचकेंगे, और ई कॉमर्स साइट पर लोगों की खरीददारी पहले से कम हो जाएगी।
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