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इस्तीफे से पहले राजयसभा में बोले थे धनखड़, लोकतंत्र लगातार कटुता बर्दाश्त नहीं कर सकता

खास खबर            Jul 21, 2025


 मल्हार मीडिया ब्यूरो।

आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। दोपहर में बतौर राज्यसभा के सभापति उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से सौहार्द और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने और एक दूसरे के खिलाफ अभद्र भाषा या व्यक्तिगत हमलों से बचने का आग्रह किया। धनखड़ ने कहा, 'आंतरिक लड़ाई हमारे दुश्मनों को मज़बूत बनाती है और हमें बांटती है।'

राज्यसभा सभापति और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि एक फलता-फूलता लोकतंत्र निरंतर कटुता के हालात बर्दाश्त नहीं कर सकता। उपराष्ट्रपति ने राजनीतिक पार्टियों से एक दूसरे पर सार्वजनिक तौर पर निजी हमले न करने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि बातचीत और चर्चा ही संघर्ष के बिना आगे बढ़ने का रास्ता हैं। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से तनाव घटाने और विकास की राजनीति करने की अपील की।

राजनीतिक तनाव घटाने की अपील

जगदीप धनखड़ ने सोमवार को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान ये बातें कही। उपराष्ट्रपति का यह बयान इस मायने में भी अहम है क्योंकि विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमले और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान आदि जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांग रहा है और सदन में इन मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक फलता-फूलता लोकतंत्र लगातार कटुता बर्दाश्त नहीं कर सकता। राजनीतिक तनाव घटना चाहिए। टकराव राजनीति का सार नहीं है। राजनीतिक दल अलग-अलग तरीकों से समान लक्ष्य पाने के प्रयास कर सकती हैं, लेकिन कोई भी राष्ट्र के हितों का विरोध नहीं करता।'

आपसी सौहार्द बढ़ाने की अपील

राज्यसभा सभापति ने सभी राजनीतिक दलों से सौहार्द और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने और एक दूसरे के खिलाफ अभद्र भाषा या व्यक्तिगत हमलों से बचने का आग्रह किया। धनखड़ ने कहा, 'आंतरिक लड़ाई हमारे दुश्मनों को मज़बूत बनाती है और हमें बांटती है। भारत की ऐतिहासिक ताकत संवाद और विचार-विमर्श में निहित है, हमारी संसद को मार्गदर्शन करना चाहिए।' सदन में 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले और 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों को भी श्रद्धांजलि दी।

 


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