मल्हार मीडिया।
भारत निर्वाचन आयोग ने ई.व्ही.एम.के उपयोग को लेकर एक राजनैतिक दल द्वारा लगाये गये आरोप के संबंध में स्थिति स्पष्ट की है। राजनैतिक दल द्वारा आरोप लगाया गया कि कानून के मुताबिक ई.व्ही.एम. को परिणाम घोषित होने की तारीख से 45 दिन तक नहीं निकाला जा सकता, लेकिन मध्यप्रदेश के उप चुनावों के लिये ई.व्ही.एम. को उत्तरप्रदेश से 11 मार्च 2017 को परिणाम घोषित होने के बाद स्थानांतरित कर बाहर ले जाया गया, जबकि 45 दिन की अवधि खत्म नहीं हुई है।
निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में कानूनी स्थिति स्पष्ट की है। आयोग के अनुसार किसी भी चुनाव में इस्तेमाल किये गये ई.व्ही.एम. जिसमें नियंत्रण तथा मत-पत्र इकाई शामिल है, परिणाम घोषित होने के बाद एक स्ट्रांग-रूम में रखा जायेगा और चुनाव याचिका दाखिल करने की अवधि समाप्त होने तक उसका किसी के द्वारा उपयोग नहीं किया जायेगा। चुनाव याचिका 45 दिन के भीतर दर्ज की जाती है तथापि वीवीपीएटी मशीनों के मामले में, मुद्रित पेपर स्लिप्स को गिनती के समय प्राप्त कर, पेपर लिफाफों में सील किया जाता है और केवल सीलबंद पेपर स्लिप्स को ई.व्ही.एम. के साथ स्ट्रांग रूम में रखा जाना चाहिए। कानून के तहत् वीवीपीएटी मशीनों को स्ट्रांग-रूम में रखा जाना चुनाव याचिका के प्रयोजन के लिये आवश्यक नहीं है और किसी अन्य चुनाव में उपयोग के लिये उपलब्ध है। उप चुनावों के लिये केवल वीवीपीएटी मशीन जो आरक्षित रखी गई थी और मतदान के दौरान उपयोग नहीं की गई, को पुनः भेजा गया है।
चुनाव आयोग पर यह भी आरोप कि उत्तरप्रदेश से ई.व्ही.एम. भिंड में स्थानांतरित की गई, पूर्णतः बेबुनियाद और तथ्यों की पुष्टि किये बिना लगाया गया है। मध्यप्रदेश में उप चुनावों के लिए उत्तरप्रदेश से कोई ई.व्ही.एम. स्थानांतरित नहीं हुई है। भारत निर्वाचन आयोग की मौजूदा नीति के अनुसार उप चुनाव के लिए विभिन्न राज्य से वीवीपीएटी मशीन को आवश्यक संख्या में स्थानांतरित किया गया है। इसका कारण यह है कि आयोग के पास उपलब्ध 53,500 वीवीपीएटी मशीन को हाल ही में पाँच राज्य अर्थात् उत्तरप्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में सम्पन्न हुए चुनाव में लगाया गया था। दस राज्य के 12 विधानसभा उपचुनाव के लिये आयोग ने संबंधित मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को वीवीपीएटी मशीनों के स्थानांतरण एवं आवंटन के लिये निम्नानुसार आदेश जारी किये है:-
आयोग यह स्पष्ट करना चाहता है कि किसी भी चुनाव में ई.व्ही.एम और वीवीपीएटी मशीनों का कुछ प्रतिशत आरक्षित रखा जाता है ताकि मतदान के दिन यदि आवश्यक हो तो ई.व्ही.एम. और वीवीपीएटी मशीनों को बदला जा सके। आरक्षित रखे गये ई.व्ही.एम. और वी.वी.पी.ए.टी. भी उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों की उपस्थिति में प्रथम स्तर की जांच, रेंडोमाईजेशन और प्रतीकों की लोडिंग के कड़े प्रोटोकॉल से गुजरती है। इसलिए भिंड में भेजे गये वीवीपीएटी में उत्तरप्रदेश के पूर्व के प्रतीक चिन्ह लोड थे। यह एक मानक प्रोटाकॉल है और इसमें कुछ भी गलत नहीं था। मानक प्रोटोकॉल के अनुसार पुराने प्रतीक चिन्हों को अगले चुनाव के पूर्व पहले स्तर की जांच के दौरान मिटाया जाता है। विगत 31 मार्च 2017 को भिंड में प्रदर्शन के समय ऐसा नहीं किया गया था। आयोग के निर्देशानुसार कोई भी प्रशिक्षण या प्रदर्शन, पहले स्तर की जांच के पूर्ण होने पर ही शुरू किया जाता है, जो भिंड में नहीं हुआ, जिसके लिये चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी को बदला है।
अटेर (भिंड) में किसी विशेष राजनैतिक दल के पेपर स्लिप्स के एक से अधिक प्रिंट के आरोप की जांच के लिये तैनात विशेष अधिकारी की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। तत्पश्चात उसे सार्वजनिक किया जायेगा।
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