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अब नेपाल भी भारत को आंखें दिखा रहा है ट्रेंड कर रहा #shamed on you india

खरी-खरी            Oct 03, 2015


prakash-hindustaniडॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी अब नेपाल भी भारत को आंखें दिखा रहा है। वहां भारत विरोधी प्रचार किस स्थिति तक पहुंच गया है, उसकी झलक यहां दिए जा रहे चित्रों और कार्टूूनों से स्पष्ट है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो नेपाल को अपना सबसे करीबी मित्र घोषित कर चुके थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि नेपाल दूर छिटक गया। क्या इसके पीछे भारतीय कूटनीति की हार है या चीन का बढ़ता वर्चस्व। जो भी हो यह भारत के लिए अच्छे संकेत नहीं है। भारत के प्रति नेपाल के कुछ खास वर्ग के लोगों की यह नाराजगी नेपाल के संविधान को स्वीकार करने के साथ ही प्रकट होने लगी। नेपाल का संविधान स्वीकार करने के पहले भारत को यह अपेक्षा थी कि वह नेपाल में रहने वाले मधेसी लोगों के साथ न्याय करेगा, वह पूरी नहीं हो पाई। nepal-4 पौने तीन करोड़ आबादी वाले नेपाल में मधेस लोगों की उपेक्षा की गई है, जो लगभग सवा करोड़ से भी ज्यादा है। नेपाल के नए संविधान में इन मधेस लोगों के साथ भेदभाव किया गया है। ये मधेस लोग भारत के उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम आदि तराई के क्षेत्रों से जाकर नेपाल में बसने वाले नागरिक है। तराई के इन लोगों में नेपाली मूल के लोगों से खान-पान, बोलचाल और पहनावे की एकता है। नेपाल के नए संविधान में इन सब लोगों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया गया है। इन्हें अपेक्षा थी कि नए संविधान में इन्हें राजनैतिक, प्रशासनिक और सैन्य मामलों में बराबरी का अधिकार मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। nepal-3 नए संविधान के अनुसार अगर मधेस युवक या युवती किसी भारतीय से शादी करता या करती है और उसे बच्चे होते हैं तो उनके बच्चों को जन्म के आधार पर नेपाल का स्वाभाविक नागरिक नहीं माना जाएगा। ऐसे बच्चे नेपाल में सर्वोच्च पदों पर भी नहीं बैठ सकेंगे। नेपाल में मधेसी लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से सत्ता में भागीदारी भी नहीं मिलने वाली। नए संविधान के अनुसार अब अगर कोई नेपाली किसी विदेशी लड़की से शादी करता है (वहां ज्यादातर शादियां भारत में ही होती है) तो उस बहू को नेपाल की नागरिकता अपने आप नहीं मिलेगी, बल्कि उसे इसके लिए आवेदन करना होगा। मधेस लोगों की दो पृथक राज्य बनाने की मांग भी स्वीकार नहीं की गई। यह सब तब हो रहा है जब वहां के राष्ट्रपति रामबरन यादव खुद मधेसी है। मधेसी लोगों का दावा है कि नेपाल के औद्योगिक उत्पादन में इनका 70-80 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र में 65 प्रतिशत योगदान है, लेकिन फिर भी इनके साथ दूसरे दर्जे का बर्ताव हो रहा है।   nepal-9   यह तो हुई नेपाल के संविधान को लेकर चल रही घोषित विरोध की बात। अंदरूनी बात तो यह है कि नेपाल की संसद पर वामपंथियों ने कब्जा कर रखा है। इन वामपंथियों के कारण नेपाल के संविधान में यह बात जोड़ी गई है कि अब नेपाल हिन्दू राष्ट्र नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। नेपाल की संसद का रुझान धीरे-धीरे चीन की तरफ होता जा रहा है। यहां तक कहा जाने लगा है कि पर्दे के पीछे से चीन की राजनीति ही नेपाल को संचालित कर रही है। चीन ने नेपाल के संविधान का गर्मजोशी से स्वागत किया है। nepal-7 पांच साल पहले तक जो नेपाल पूरी तरह हिन्दू राष्ट्र था, 28 मई 2008 को वह राजशाही खत्म करके संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र बन गया और नए संविधान बनने के बाद नेपाल अब धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र के रूप में पहचाना जाने लगा। इस संविधान पर आपत्ति के कारण नेपाल में मौजूद माओवादी अपना अभियान चला रहे है और मधेसियों की पिटाई आम हो गई है। संविधान की घोषणा के बाद हुए दंगों में पचास से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। भारत ने बार-बार नेपाल से अनुरोध किया कि वह राजनैतिक हल निकालकर समस्या का समाधान करे। पशुपतिनाथ मंदिर में शताब्दियों से भारतीय पुजारी ही प्रमुख होते हैं। नए संविधान के बाद उनकी पिटाई की गई। पिछले 10 सालों से भारत विरोधी प्रचार करने वाली ताकतें अब एक हो गई है और सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया जा रहा है कि भारत नए संविधान से चिंतित है। इसीलिए उसने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए है। इन आर्थिक प्रतिबंधों के चलते नेपाल में भारत द्वारा की जा रही पेट्रोल, डीजल की सप्लाय बाधित करने का आरोप भी भारत पर है, जिस कारण नेपाल का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।


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