मल्हार मीडिया ब्यूरो।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में 130 वां संविधान संशोधन विधेयक बिल पेश किया. इस दौरान संसद में जमकर हंगामा हुआ। इस विधेयक में इस विधेयक में गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिन तक जेल में रहने पर प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है। विधेयक की शुरुआत में ही असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया।
विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक सरकार को विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने का अवसर देता है और संविधान के मूल ढांचे को कमजोर करता है।
विपक्ष का ये भी कहना है कि सरकार के पास इस विधेयक को पारित करने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है और ये सिर्फ़ ध्यान भटकाने की कोशिश है।
वहीं मनीष तिवारी ने भी इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह अनुच्छेद 21 के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। इसके अलावा भी कई नेताओं ने इसका विरोध किया है।
विपक्ष के भारी हंगामे के बीच प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री के 30 दिन तक जेल में रहने की स्थिति में स्वत: पद से हटाने से संबंधित 130वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश हो गया।
गृह व सहकारिता मंत्री ने विधेयक पेश करने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का आग्रह किया। विधेयक को भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए अमित शाह ने विपक्ष के विरोध पर तीखा कटाक्ष किया।
कांग्रेस ने इसका विरोध किया
इंटरनेट मीडिया एक्स पर पोस्ट कर अमित शाह ने कहा कि ''एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने आपको कानून के दायरे में लाने का संविधान संशोधन पेश किया और दूसरी ओर कानून के दायरे से बाहर रहने, जेल से सरकारें चलाने और कुर्सी का मोह न छोड़ने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया।'' दो बजे लोकसभा में विधेयक पेश करने के तत्काल बाद कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया।
वेल में हंगामा
कांग्रेस की ओर से केसी वेणुगोपाल, मनीष तिवारी और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने विधेयक को संघीय ढांचे के खिलाफ, ईडी-सीबीआइ का दुरूपयोग कर विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की आशंका जताई। वहीं तृणमूल के सांसद शुरू से ही उत्तेजित दिखे और वेल में आकर हंगामा करने लगे। इस बीच केसी वेणुगोपाल ने अमित शाह पर गुजरात का गृहमंत्री रहते हुए जेल जाने और इस्तीफा नहीं देने का आरोप लगा दिया।
संवैधानिक पद स्वीकार नहीं
अमित शाह ने इसका तीखा प्रतिकार करते हुए स्पष्ट किया कि उन्हें कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार ने झूठे केस में फंसा कर जेल भेजा था, लेकिन गिरफ्तारी के पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और अदालत से पूरी तरह से आरोपमु्क्त होने के पहले कोई भी संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया। इसके बाद जैसे ही अमित शाह ने विधेयक को स्वीकार करने के लिए सदन से आग्रह किया, विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया।
मार्शल को बुला लिया गया
शाह के सामने पहुंचकर विपक्षी सांसदों ने विधेयक की प्रतियां फाड़कर शाह के ऊपर फेंकनी शुरू कर दी। हंगामे और सत्तापक्ष और विपक्ष में सीधे टकराव की आशंका को देखते हुए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। तीन बजे फिर से कार्यवाही शुरू होने के पहले सदन के भीतर मार्शल को बुला लिया गया। लेकिन किसी भी अप्रिय स्थिति को टालने के उद्देश्य से इस बार अमित शाह पहली पंक्ति के बजाय तीसरी पंक्ति में बैठे ताकि विपक्षी सांसदों द्वारा फेंका गया कागज उनतक नहीं पहुंच पाए।
कानूनी कार्रवाई नहीं करने का प्रविधान
शाह ने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति में भेजे जाने का आग्रह किया। संयुक्त संसदीय समिति में लोकसभा के 21 सांसद और राज्यसभा के 10 सांसद होंगे और उन्हें संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के पहले अपनी रिपोर्ट देनी होगी। अमित शाह ने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 39 वां संविधान संशोधन विधेयक लाकर प्रधानमंत्री के विरूद्ध किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं करने का प्रविधान करने का हवाला देते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया।
यह प्रावधान आपातकाल के दौरान लाया
उनके अनुसार कांग्रेस कार्य संस्कृति और नीति प्रधानमंत्री को कानून के ऊपर करने की है। वहीं भाजपा मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ प्रधानमंत्री को कानून के दायरे में ला रही है। इंदिरा गांधी ने यह प्रविधान आपातकाल के दौरान लाया था। संविधान में 130वें संशोधन के जरिए लगातार 30 दिन तक जेल में रहने पर पद से हटाने का प्रविधान किया गया है। जबकि संघ शासित प्रदेश संशोधन विधेयक के जरिए इसे संघ शासित प्रदेशों में लागू करने का प्रविधान है तो जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक के जरिए इसे जम्मू-कश्मीर के लिए लागू होने योग्य बनाया गया है।
विधेयक में क्या है ?
किसी भी मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को जेल जाने पर 30 दिन के भीतर खुद इस्तीफा देना होगा।
इस्तीफा नहीं देने की स्थिति में 31वें दिन उसका पद स्वत: रिक्त माना जाएगा। ऐसे आरोप जिसमें कम से कम पांच साल की सजा का प्रविधान है उसमें लगातार 30 दिन जेल रहने पर होगी कार्रवाई।
बेल मिलने पर दोबारा मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन सकता है। पूरे देश में इसे एक साथ लागू करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम 1963 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में भी जरूरी संशोधन किये जाएंगे। इन दोनों अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक भी पेश किया गया है।
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