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दलाली पत्रकारिता की साजिश की भेंट चढा जांबाज पत्रकार

खरी-खरी, मीडिया            Jun 09, 2015


सुरेश गांधी दलाल पत्रकारों की साजिश के चलते शाहजहांपुर में एक जांबाज पत्रकार जगेन्द्र ने भ्रष्ट मंत्री और भ्रष्ट पुलिस की साजिश का शिकार होकर दम तोड़ दिया 22 मई को सूबे के वरिष्ठ अधिकारियों को भेंजे पत्र में जता दी थी अपनी हत्या की आशंका। मंत्री के इशारे पर पुलिस ने रची जलाने की साजिश, अब इस पूरे मामले में सरकार मौन क्यों है? जी हां! गुंडों, माफिया, बलात्कारियों, बाहुबलियों के साथ-साथ भ्रष्ट पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों से सांठगांठ रखने वाले दलाल पत्रकार सिर्फ भदोही में ही नहीं है, बल्कि हर जिले में हैं। ये दलाल पत्रकार इन माफिया, बाहुबलियों और भ्रष्ट पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर न सिर्फ लाखों कमाते हैं बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों, माफियाओं, बाहुबलियों एवं भ्रष्ट पुलिस के काले कारमानों को उजागर करने वाले जांबाज पत्रकारों के खिलाफ साजिश कर उनकी हत्या से लेकर फर्जी मुकदमें दर्ज कराने की घिनौना कुचक्र भी रचते हैं। कुछ इसी तरह के दलाल पत्रकारों की साजिश के चलते शाहजहांपुर में एक जांबाज पत्रकार जगेन्द्र भ्रष्ट मंत्री और भ्रष्ट पुलिस की बलि चढ़ गया। पुलिस द्वारा जिंदा जलाए गए इस जांबाज पत्रकार ने सोमवार को दम तोड़ दिया। बताते हैं कि शाहजहांपुर स्थित उनके मकान में पुलिस ने जिस वक्त दबिश दी, उसी दौरान दौरान उन्हें आग के हवाले कर दिया, जिससे वह लगभग 60 फीसदी जल गए। जगेन्द्र का आरोप है कि यह सब कोतवाल द्वारा एक स्थानीय राज्यमंत्री के इशारों पर किया गया। इससे पूर्व भी 28 अप्रैल को उनके आवास के पास उनपर जानलेवा हमला किया गया किन्तु इसमें अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। श्री जगेन्द्र का कहना था कि मंत्री की तमाम गड़बडि़यों, जमीन पर बलपूर्वक कब्जा करने और सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करने के कारण उन्हें यह सब झेलना पड़ा। गत 22 मई को एनएचआरसी समेत सूबे के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे पत्र में जगेन्द्र ने अपने जानमाल के रक्षा की गुहार लगाई थी। पत्र में कहा है कि बाहुबली मंत्री पुलिस से मिलकर उनकी हत्या करा सकते हैं। इस समय नेता, गुंडे और पुलिस सब मेरे पीछे पड़े हैं। सच लिखना भारी पड़ रहा है जिंदगी पर। पुलिस एवं मंत्री के कुछ कारनामों का खुलासा किया तो हमला करा दिया। उनके लोगों पर रिपोर्ट दर्ज करा दी तो मंत्री ने एक स्मैकिया से मेरे खिलाफ लूट, अपहरण और हत्या के प्रयास की रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज करवा दी। 28 अप्रैल को हुए हमले में मेरे पैर का पंजा टूटा था और प्लास्टर चढ़ा हुआ था। अब पुलिस को कैसे समझाएं कि पैर टूटा आदमी अपहरण कैसे कर सकता है मारपीट तो दूर की बात है। अब पुलिस मेरे घर पर ऐसे दबिशें दे रही है जैसे मैं कहीं से डकैती डालकर कत्ल करके भागा होऊं। डीजीपी, गृह सचिव व डीआईजी बरेली सभी से मिला और मुझ पर दर्ज हुई रिपोर्ट की जांच कर कार्रवाई करने की बात कही, लेकिन लगता है कि सपा सरकार में सारे अधिकारी मंत्री के दबाव में हैं। पत्र में कहा गया है कि विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिल रही है कि राज्यमंत्री मेरी हत्या का षड़यंत्र रच रहे हैं और जल्द ही कुछ गलत घटने वाला है। शाहजहांपुर के ईमानदार पत्रकारों ने बताया कि यहां घिनौना हरकत पहले भी पत्रकारों के साथ होती रही है। सच लिखना यहाँ मुश्किल काम है। माफिया और गुंडे नेता गठजोड़ करते हैं और कुछ पत्रकारों की सहमति से ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है। यहाँ फेसबुक पर दुखद लिखने भर से कुछ नहीं होने वाला। एक तीखा सच लिखने की आवाज बंद हो गयी और इसके बाद कौन आवाज उठाएगा? यदि शाहजहांपुर में एक भी नहीं आवाज उठा सकता तो फिर उनकी आत्मा को शांति कहाँ से मिलेगी? इसलिए सच्चे पत्रकारों से गुजारिश है कि वह दलाल पत्रकारों के साथ-साथ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। सीनियर पत्रकार विनय कुमार कहते हैं पत्रकारिता में जब से व्यसायिकता, चाटुकारिता, दलालीपन हावी हुआ है। तब से गुंडे माफियाओं के साथ ही खाकी खादी वालों ने निर्भीक निष्पक्ष बेबाक पत्रकारों का जमकर उत्पीड़न करना चालू कर दिया है। सच्चे पत्रकारों के साथ शासन प्रशासन न कभी था, न कभी रहेगा। क्योंकि सच्चाई और निष्पक्षता आज के पत्रकारीय जीवन में आत्मघाती होती जा रही है और सच्चे पत्रकार इसके शिकार हो रहे हैं। दो वर्ष पूर्व जब मुज्जफ्फरनगर मे दंगे हुये और फिर शाहजहाँपुर जिले के “बड़ा गाँव” मे सांप्रदायिक तनाव हुआ। इन दोनों घटनाओं की इस पत्रकार ने भ्रष्ट पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के काले कारनामों व लापरवाहियों की पोल खोलकर रख दी। बता दें, उत्तर प्रदेश सरकार के तीन साल के कार्यकाल में पत्रकार की उत्पीड़न की 200 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 8 जांबाज पत्रकारों की हत्या पुलिस एवं माफिया जनप्रतिनिधि करा चुके हैं। जबकि दो दर्जन से अधिक पत्रकारों की माफिया जनप्रतिनिधियों एवं दलाल पत्रकारों की साजिश के चलते घर-गृहस्थी लूटा जा चुका है। जांच के नाम पर यूपी के भ्रष्ट अधिकारी व पुलिस माफियाओं, लुटेरों को बचाने में फर्जी जांच रिपोर्ट शासन को भेज रहे हैं। सिर्फ पत्रकार पर ही इस सरकार में हमले नहीं हुए हैं बल्कि इस दौरान दंगे और अपराधों का ग्राफ कितनी तेजी से बढ़ा है यह भी किसी से छिपा नहीं है। तीन वर्ष के कार्यकाल में लगभग 650 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं। सिपाही, दारोगा से बदसलूकी हुई है। यहाँ तक की सीओ स्तर तक के अधिकारियों के साथ “मैन-हैंडिलिंग” की घटनाएं हुई हैं। ये दिखाता है कि लोगों में कितना गुस्सा है इस सरकार के खिलाफ। अपराधी बेखौफ हैं और जनता में डर बैठा है। यही है इस सरकार की तीन साल की उपलब्धि। भडास4मीडिया


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