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पाकिस्तान के मुंह पर प्रतिकार का पहला जोरदार तमाचा

खरी-खरी            Sep 28, 2016


rakesh-achalराकेश अचल। इस माह के दुसरे सप्ताह में 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उड़ी में आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले में 18 जवानों के शहीद होने के बाद पकिस्तान के खिलाफ भारत के पहले प्रतिकार के चलते इस्लामाबाद में होने वाला सार्क सम्मेलन रद्द हो गया है। आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशि‍शों में जुटे भारत को भले ही ये एक छोटी सी कामयाबी मिली हो लेकिन ये पाकिस्तान के मुंह पर प्रतिकार का पहला जोरदार तमाचा है। देश इसी तरह के प्रतिकार की प्रतीक्षा कर रहा था। इस मुद्दे पर कांग्रेस की असहमति का फिलहाल कोई अर्थ नहीं है। इस साल नवंबर में इस्लामाबाद में होने वाला 19वां सार्क सम्मेलन स्थगित हो गया है। सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल की मीडिया ने यह खबर दी है। वहीं, पाकिस्तान में सूत्रों ने भी इस खबर की पुष्टि की है। उरी में हुए आतंकी हमले से गुस्साए भारत ने सार्क सम्मेलन में शि‍रकत नहीं करने का फैसला किया। भारत की इस पहल का पड़ोसी बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी समर्थन किया और सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला किया। आज की तारीख में जैसा माहौल बना है, वैसे में भारत का पाकिस्तान जाना किसी भी तरीके से उचित नहीं था साल 1985 में बने इस गुट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल हैं। प्रतिकार का ये रास्ता भी भाजपा के लिए आसान नहीं है। सार्क के सदस्य देश हालाँकि पाकिस्तान के खिलाफ भारत के साथ खड़े नजर आते हैं लेकिन ये परिदृश्य स्थाई नहीं है,इसलिए भारत को गर्म लोहे पर निरंतर वार करते जाना चाहिए।,1985 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत ने सार्क सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है। सार्क सम्मेलन में भारत की भागीदारी को लेकर देश में सियासत भी तेज हो गई है। आतंकवाद के मोर्चे पर मोदी सरकार के नाकाम रहने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस ने सार्क सम्मेलन का बहिष्कार नहीं करने की नसीहत दी है। कांग्रेस कहती है कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान को विश्व समुदाय में अलग-थलग किया जाना चाहिए लेकिन सार्क सम्मेलन रद्द नहीं किया जाना चाहिए। बीजेपी कहती है कि, 'जब सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं तो कांग्रेस पूछती है कि क्यों जा रहे हैं? जब बहिष्कार करते हैं तो कहती है कि क्यों बहिष्कार कर रहे हैं? यह कन्फ्यूजन पॉलिसी के साथ नहीं, कांग्रेस के ही भीतर है।' सार्क सम्मेलन के रदद् होने के बाद अब भारत पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी समझौता रद्द करने और मोस्ट फेवर्ड का दर्जा वापस लेने पर भी जितनी जल्द फैसला कर ले उतना अच्छा है। हमें लगता है की सिंधु जल संधि से छेड़छाड़ एक कठिन काम है लेकिन एमएफएन का दर्जा छिनने में कोई अड़चन नहीं है। यदि भारत ने ये काम भी कर दिया तो पाकिस्तान को भारत से दुश्मनी के अर्थ नए सिरे से समझ आने लगेंगे। क्योंकि पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देना आस्तीन में सांप पालने जैसा है..अब देखिये आगे-आगे होता है क्या? फेसबुक वॉल से।


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