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सीईसी के खिलाफ विपक्ष हुआ लामबंद, कहा अफसर आएंगे जाएंगे, सदन हमेशा रहेगा

राष्ट्रीय            Aug 18, 2025


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

चुनाव आयोग के प्रेस कांफ्रेंस और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के द्वारा विपक्ष पर आरोप लगाने के बाद सोमवार को कई विपक्षी पार्टियां इसका जवाब देने के लिए मैदान में उतर गई। दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) पर कई आरोप लगाए। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों के हाथ में है,जो निष्पक्ष नहीं हैं।

 कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सहित आठ प्रमुख विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने यहां एक बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी)पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने के बजाय सीईसी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन कर उनपर हमला करने का विकल्प चुना।

वोट देने का अधिकार- संविधान के द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। हमारा लोकतंत्र आम लोगों के 'वोट देने के अधिकार' पर ही निर्भर है। इस अधिकार का संरक्षण केंद्रीय चुनाव आयोग का है। लेकिन जब देश के राजनीतिक दल, चुनाव आयोग से महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, तो चुनाव आयोग जवाब नहीं दे पा रहा है।

चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने जितनी भी बातें रखी, कोर्ट ने उन सबको नकार दिया। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता की। इस वार्ता में उन्हें चुनाव आयोग की कमजोरी बतानी थी और विपक्ष के जायज सवालों के जवाब देने थे। जवाब देने के विपरीत, चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए, उनके ऊपर आक्रमण किया।

प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग ने एक निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से नकार दिया। ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग कुछ ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी एक पार्टी का पक्ष लेते हैं। चुनाव आयोग को लगता है कि वो बड़ी-बड़ी बातें करके राजनीतिक दलों को डरा देंगे।

हम उनसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा और उनकी कार्रवाई की गवाही देगा। हम उन पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम ऊठाएंगे। चुनाव आयुक्त को जवाब देना था कि

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सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से अपनी शिकायत के साथ हलफनामा देने को कह रहा है, जबकि सपा ने 2022 में लगभग 18,000 मतदाताओं को सूची से हटाए जाने की शिकायतों के साथ हलफनामा प्रस्तुत किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा, ‘‘ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में, जब अखिलेश यादव ने कहा कि सपा समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, तो हमने हलफनामा दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’

तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने कहा कि यदि मतदाता सूची, जिसके आधार पर पिछला आम चुनाव हुआ था, सही नहीं है तो लोकसभा को भंग कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘क्या जिस सूची के आधार पर लोकसभा चुनाव हुआ, वह फर्जी है? अगर यह सच है, तो वर्तमान और पूर्व चुनाव आयुक्तों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और मौजूदा लोकसभा को तुरंत भंग कर दिया जाना चाहिए।’’

राजद नेता मनोज झा ने मुख्य चुनाव आयुक्त पर निशाना साधते हुए तंज कसा, ‘‘कल हम अपने मुख्य चुनाव आयुक्त को ढूंढ रहे थे, हमें भाजपा का नया प्रवक्ता मिल गया।’’ शिवसेना(उबाठा) के अरविंद सावंत ने भी मुख्य चुनाव आयुक्त पर ‘‘भाजपा प्रवक्ता की तरह व्यवहार करने’’ का आरोप लगाया।

 



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