Breaking News

व्यापमं का अर्थ ही साईनाइड है!

खरी-खरी            Jul 06, 2015


धीरज चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के लिये व्यापमं का अर्थ ही साईनाइड है, जो छुये वो मर जाये, जिसने चखकर उसकी असलियत जाननी चाही वो मर गया। घोटाले में भी घोटाला कैसे हो सकता है अब ये देखो अगर इसकी जांच होती है तो। वैसे इस राशि पर उन नौजवानों का हक बनता है जो घोटाले के कारण पात्र होते हुये भी अपनी किस्मत पर रोते हुये भटक रहे हैं नई जिदंगी की तलाश में । व्यापम में विभिन्न नियुक्तियों के लिये पिछले कुछ सालो में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियो की संख्या का अनुमान 76 लाख 76 हजार है। अगर व्यापम ने इन अभ्यर्थियो से औसत 200 रूपये शुल्क वसूला होगा तो यह राशि 1 अरब 53 करोड 52 लाख रूपये के करीब होती है। इस राशि का व्यापम ने क्या उपयोग किया यह भी जांच का विषय हो सकता है क्योकि मध्यप्रदेश का अर्थ सत्य रूप में घोटाला ही है। व्यापमं के खेल में अरबो का खेल हुआ साथ ही व्यापमं ने भी अरबों कमाये। घोटाले के उजागर होने के बाद वैसे तो यह राशि अभ्यर्थियो को बांट देनी चाहिये। एसटीएफ का कानूनी ज्ञान भी समझ से परे है। यह समझ नही आया कि जिन परिवारो ने अपने बच्चों को दाखिला या नियुक्ति दिलाने के लिये सिसटम का सहारा लिया और दलालों के माध्यम से घूस दी उनको अगर गवाह बनाया जाता तो मामला अधिक मजबूत होता। गवाह कौन है ये ही समझ नहीं आता। आखिर यही तो पोल खोलते कि किस दलाल ने पैसा लेकर उनको योग्यता विहीन होते हुये योग्यता वान बनाया। अब क्या होगा जब गवाही ही फंसा है तो वह स्वयं को बचाने के लिये उन दलालो को भी बचायेगा जो असली इस खेल के मुजरिम है। जिनके तार ही उच्च तक जुडे हुये है। अब तो यह हो गया कि गवाह बेचारा फंसा है तो वह स्वयं को बचाने के लिये सब को बचा देगा। जैसे पुलिस के कथित आम मामलो में गवाहो का होता है जो अदालत में जाते ही पक्षविरोधी हो जाते हैं। कुछ यही अंत व्यापम का भी होगा जो अब जानलेवा बन चुका हैं। बेचारे सिस्टम का शिकार हुये लोगों का क्या दोष जो गवाह की जगह जेल की सलाखों के पीछे है। फेसबुक पर प्रतिक्रिया


इस खबर को शेयर करें


Comments