Breaking News

सरकारी नजर में सफल सम्मेलन हिंदी की दृष्टि से विफल, साहित्यक अतिथी बिना मंच लगा सूना

खरी-खरी            Sep 12, 2015


ममता यादव आखिरकार तीन दिन तक चलने वाला विश्व ​हिंदी सम्मेलन आज समाप्त हो गया। इस सम्मेलन को सरकार ने सफल कहा है लेकिन सम्मेलन में आये लोगों से बात करने पर जो मूल बात निकलकर आई वह यह कि यह सम्मेलन पहली तो पूर्णत: सरकारी सम्मेलन बन कर रह गया। दूसरा यह कि साहित्यकारों को आमंत्रित न करने से उठ रहे नाराजगी भरे सवालों पर सरकार का तर्क भी गले उतरने लायक नहीं था। सरकार का कहना था यह साहित्य का नहीं भाषा का सम्मेलन था। यह सरकारी तर्क गले इसलिये भी नहीं उतरता अगर साहित्य न रचा जाये तो भाषा आगे कैसे बढ़ेगी? क्या साहित्य के बिना भाषा की कल्पना की जा सकती है? अपने इस दावे पर मंच पर मौजूद अतिथि गण ही कई बार अपने उद्बोधन में त्रुटियां करते नजर आये। समापन सत्र में गृहमंत्री ने कहा कि सम्मेलन में आये सभी प्रतिनिधियों का आत्मीय स्वागत है। लेकिन कायदा तो यह बनता है कि कहा यह जाता कि इस सम्मेलन में पधारने के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद या आभार। इसके अलावा मुख्यमंत्री,गृहमंत्री ने देश—विदेश से आये प्रतिनिधियों के लिये तो कई आत्मीय शब्द कहे मगर मीडिया का पूरे उद्बोधन में जिक्र नहीं आया। बहरहाल इस आयोजन में सबसे निराश करने वाली बात यही थी कि शुभारंभ और समापन दोनों समारोहों में मंच साहित्यक मनीषियों के अभाव में सूना ही र​हा। केंद्र और राज्य सरकार के लोग ही मंच पर नजर आये। थोड़ा—बहुत जो उत्साह अमिताभ बच्चन के आने को लेकर बना हुआ था वह भी ठंडा पड़ गया। आखिरी दिन तो सभागारों की रौनक ही फीकी लगी। एनसीईआरटी में पदाधिकारी प्रोफेसर प्रमोद दुबे का कहना था कि इस सम्मेलन पर अफसरशाही का प्रभाव ज्यादा दिखा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हिंदी सम्मेलन ऐसा होना है तो भविष्य में कभी न हो। पूरे आयोजन में ऐसा लगा कि सिर्फ जितने लोग डोम के अंदर हैं उन्हीं के लिये यह सम्मेलन है। हैंडरसन यूनिवर्सिटी आॅकलैंड से आये भारत दर्शन पत्रिका के संपाद रोहित कुमार हैप्पी का कहना था क्या अच्छा नहीं होता कि एक प्रोजेक्टर बाहर भी लगा दिया जाता तो जो कॉलेजों के बच्चे और आम लोग बाहर थे उन्हें भी कार्यक्रम देखने का अवसर मिल जाता। मध्यप्रदेश सरकार का यह आयोजन अपनी शुरूआत से ही साहित्यिक और पत्रकारिता बिरादरी के निशाने आया यह सम्मेलन एक तरह से सरकारी आयोजन बनकर रह गया। प्रतिभागियों से ज्यादा भाजपा के नेता और मंत्री यहां नजर आये। सरकारी नजर में सफल माना जाने वाला यह सम्मेलन हिंदी की दृष्टि से विफल ही कहा जायेगा।


इस खबर को शेयर करें


Comments