समीर चौगांवकर।
कर्नाटक में लगातार दूसरी बार सरकार बनाकर रिवाज बदलने और दक्षिण के इस दरवाजे को मजबूत करने में जुटी भारतीय जनता पार्टी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा अपने ही बगावती नेता है।
भाजपा के पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
इनके अलावा कर्नाटक सरकार में मंत्री और 6 बार के विधायक एस अंगारा,मुदिगेरे से विधायक एमपी कुमारस्वामी, दोबार के हावेरी से विधायक नेहरू ओलेकर, होसदुर्गा से विधायक गोलीहट्टी शेखर, कुदलिगी से विधायक एनवाईगोपालकृष्ण के अलावा टिकट नहीं मिलने पर पूर्व विधायक सोगडू शिवण्णा और पूर्व सांसद एस. पी. मुद्दहनुमेगौड़ा ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की है।
तुमकूरु नगर क्षेत्र के पूर्व विधायक शिवण्णा ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
कुणिगल क्षेत्र से टिकट मिलने की उम्मीद के साथ भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद एस.पी. मुद्दहनुमेगौड़ा ने भी पार्टी छोड निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
इसके अलावा टिकट के तगडे दावेदार माने जा रहे 12 नेताओं ने भाजपा से नाराजगी दिखाकर अलग रहा पकड़ने के संकेत दे दिए है।
पार्टी में उठे असंतोष का पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ना तय है, किसान बाहुल्य और लिंगायतों के वर्चस्व वाले कित्तूर कर्नाटक का क्षेत्र जिसमें छह जिले बेलगावी, हुब्बली धारवाड़, विजयपुर, हावेरी, गदग और बागलकोट को मिलाकर कुल 50 विधानसभा सीटें आती है में भाजपा को जगदीश शेट्टार के कारण तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
कर्नाटक की 224 सदस्यों वाली विधानसभा का यह लगभग 22 फीसदी है।
2018 के विधानसभा चुनाव में इन 50 सीटों में से 30 सीटें भाजपा को मिली थी। कांग्रेस को 17 और जेडीएस को केवल 2 सीटें हाथ लगी थी। 2013 के चुनाव में यहा कांग्रेस को 31 और भाजपा को 13 सीटें मिली थी।
2013 में भाजपा के दिग्गज नेता येदियुरप्पा ने अपनी अलग पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष बनाकर चुनाव लड़ा था और इस क्षेत्र में भाजपा को तगड़ा नुकसान पहुंचाया था।
जगदीश शेट्टार की बगावत के कारण भाजपा को इस क्षेत्र की 20 सीटों पर असर पड़ सकता है।इस क्षेत्र में भाजपा लिंगायत मतों पर निर्भर रही है।
भाजपा के सबसे बड़े लिंगायत नेता येदियुरप्पा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे है और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्बई भले ही लिंगायत हो लेकिन इस क्षेत्र में लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार का अच्छा प्रभाव है।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार का टिकट भाजपा हाईकमान ने क्यों काटा, इसका कारण शेट्टार के साथ साथ कर्नाटक भाजपा के किसी भी नेता को नहीं मालूम।
प्रदेश संगठन के शेट्टार को टिकट देने की पैरवी के बाद भी भाजपा हाईकमान ने टिकट काट दिया।
करीब तीन दशक के लंबे राजनीतिक सफर के बाद भाजपा का साथ छोड़ने वाले पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के परिवार का जनसंघ से पुराना रिश्ता रहा है।
जगदीश शेट्टार के पिता शिवप्पा शेट्टार हुब्बल्ली-धारवाड़ निगम में जनसंघ के पहले महापौर थे जबकि चाचा सदाशिव शेट्टार ने 60 के दशक में उत्तर कर्नाटक में जनसंघ के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सदाशिव शेट्टार 1967 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए पहले चार जनसंघ नेताओं में से एक थे, तब पहली बार दक्षिण में जनसंघ ने जीत दर्ज की थी।
जगदीश शेट्टार ने 1994 में हुबली ग्रामीण सीट से मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को हराकर विधानसभा में प्रवेश किया था, बाद में शेट्टार विपक्ष के नेता, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री जैसे पदों तक पहुंचे।
हिमाचल प्रदेश में बगावत के कारण सत्ता गंवा चुकी भाजपा के लिए कर्नाटक में भी अपने नेताओं की बगावत के कारण सत्ता की राह मुश्किल हो गई है।
224 विधानसभा सीटों में से 35 सीटों पर भाजपा विपक्ष के साथ साथ अपने ही बागी नेताओं से तगड़ी चुनौती का सामना कर रही है।
इसमें से कितनी सीटें भाजपा शेट्टार के कारण हारती है या शेट्टार के बगावत के बाद भी अपना वोट बैक बचाकर रखती है इसके लिए 13 मई का इंतजार करना होगा, जब चुनाव परिणाम घोषित किये जाएंगे।
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