राकेश दुबे।
अब यह सवाल भारत के भीतर और बाहर चर्चित है, ब्रिटेन के एक बड़े अखबार द संडे गार्जियन ने एक बहुत बड़ा खुलासा किया है।
अखबार कहता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए नई दिल्ली से लेकर लंदन तक गतिविधियां चल रही हैं।
अखबार ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि दिल्ली और लंदन तक मोदी विरोधी गुटों की कई गुप्त बैठकें और मुलाकातें हुई हैं जिनमें इस बात की रणनीति बनाई गयी कि कैसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को तीसरी बार जीतने से रोका जाये?
अख़बार का दावा है कि इन बैठकों में कुछ राजनयिक और भारतीय हिस्सा ले रहे हैं।
अखबार ने दावा किया है कि तीन महीने में इस संबंध में तीन गुप्त बैठकें दिल्ली के राजनयिक क्षेत्र मोती बाग और बहादुर शाह जफर मार्ग में हो चुकी हैं।
अखबार कहता है कि मोती बाग स्थित दूतावास में हुई बैठक में 20लोग और बहादुर शाह जफर मार्ग के एक कार्यालय में हुई बैठक में 12 लोग शामिल हुए थे।
इन बैठकों में भाग लेने के लिए कुछ भारतीय मूल के लोग अमेरिका के टेक्सास और अन्य इलाकों से दिल्ली पहुँचे थे।
अखबार का दावा है कि इन बैठकों में कुछ यूरोपीय देशों के राजनयिक दिल्ली और लंदन, दोनों जगह की बैठकों में शामिल हुए थे। राजनयिकों के अलावा इन बैठकों में कुछ वकील, डॉक्टर और आईटी प्रोफेशनल भी शामिल हुए थे।
इन बैठकों का विषय था कि मोदी सरकार की कमजोरियों को कैसे जनता के बीच उभारा जायेगा, इन बैठकों में तय किया गया है कि कैसे मोदी सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक में नकारात्मक अभियान चलाया जायेगा।
इन बैठकों में मार्केटिंग प्रोफेशनलों, पीआर एजेंसियों, सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स आदि की बड़ी संख्या में चुनाव अभियान के लिए नियुक्ति करने की भी सहमति बनी ताकि मोदी और भाजपा को चारों ओर से घेरा जा सके।
इन बैठकों में रणनीति बनाई गयी कि ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही तरीकों से मोदी सरकार की छवि को भारत और विदेशों में खराब करने के लिए अभियान चलाया जायेगा।
विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच भी मोदी सरकार की छवि को खराब करने के प्रयास किये जायेंगे ताकि वहां से भाजपा को किसी प्रकार की मदद नहीं मिल सके।
अखबार के अनुसार इन बैठकों में इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक छह महीने पहले यानि इस साल सितंबर महीने में मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया जायेगा।
यह वही वक्त होगा जब सितंबर माह में जी-20 शिखर सम्मेलन की भारत दिल्ली में मेजबानी कर रहा होगा। शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति समेत जी-20 सदस्य देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों के भाग लेने की उम्मीद है।
थोड़ा मुड़ कर देखें तो मोदी के कार्यकाल में जब भी कोई बड़ा राष्ट्राध्यक्ष भारत आया है तो सरकार के खिलाफ नकारात्मक माहौल दर्शाने की कोशिश की हुयी है।
जैसे जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आये थे तब दिल्ली में दंगे हुए थे। इसके अलावा जब किसी इस्लामिक देश का राष्ट्राध्यक्ष भारत दौरे पर आता है तब देश में अल्पसंख्यकों को खतरे में दर्शाने के प्रयास किये जाते हैं।
हाल में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट अडाणी पर हमला नहीं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का षड्यंत्र माना जा रहा है। जिससे भारत से निवेशक, भारत के वित्तीय बाजारों और कंपनियों की साख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खराब हो, इसके लिए जो कारगुज़ारी हुई उसे अडाणी पर हमला करके सफल बनाने का प्रयास किया गया।
यही नहीं, गुजरात दंगों पर बीबीसी ने डॉक्यूमेंट्री बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ने का जो अभियान चलाया था वह भी किसी टूलकिट का ही हिस्सा था। इसलिए संडे गार्जियन ने जो खुलासा किया है उससे सरकार को और भारतवासियों को भी सतर्क रहना चाहिए ।
बहरहाल, हाल ही में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि एक अकेला सब पर भारी पड़ रहा है।
क्या मोदी विदेशी शक्तियों के षड्यंत्रों को भी विफल करने में सफल होंगे? एक बड़ा सवाल है, जो देश के भीतर और बाहर गूंज रहा है।
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