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बृजभूषण शरण सिंह के दाग़दार दामन से भाजपा कैसे बचेगी

खरी-खरी            Apr 28, 2023


समीर चौगांवकर।

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सामने घुटने टेकते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि वो आज ही बृजभूषण के खिलाफ केस दर्ज करेगी।

दरअसल बीते कुछ दिनों से बृजभूषण के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर देश के कई बड़े पहलवान जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं।

जिसमें विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट जैसे कई बड़े नाम शामिल है।

एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को कई पदक दिलाने वाली महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह पर कई लड़कियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

छात्र जीवन से ही राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय रहे बृजभूषण शरण सिंह का युवा जीवन अयोध्या के अखाड़ों में गुज़रा। कॉलेज के दौर में ही वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए और यहां से शुरू हुआ उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन।

बीजेपी से जुड़ने के बाद बृज भूषण शरण सिंह ने अपनी छवि एक हिंदुवादी नेता के तौर पर बनाई और अयोध्या के बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने के अभियुक्त भी रहे।

हिंदुत्व राजनीति के मुखर समर्थक रहे बृज भूषण सिंह का नाम बीजेपी के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ उन 40 अभियुक्तों में शामिल था जिन्हें 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने का ज़िम्मेदार माना गया था। हालांकि सितंबर 2020 में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था।

1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले बृज भूषण सिंह, 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी लोकसभा के लिए चुने गए। कुल मिलाकर वे छह बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।

बृज भूषण सिंह 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे।

1988 में वे बीजेपी से जुड़े और फिर पहली बार 1991 में रिकॉर्ड मतों से सांसद बने। 1996 में जब दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को कथित रूप से शरण देने के लिए टाडा मामले में आरोपित होने के बाद बृजभूषण सिंह को टिकट नहीं मिला, तो उनकी पत्नी सिंह को गोंडा केतकीदेवी को भाजपा ने मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की।

1998 में बृजभूषण शरण सिंह को गोंडा से समाजवादी पार्टी के कीर्तिवर्धन सिंह से हार का सामना करना पड़ा। 2009 के लोकसभा चुनाव में वे सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीते।

भाजपा में उनके दबदबे का आलम यह है कि शीर्ष नेतृत्व से लेकर कार्यकर्ता तक किसी की हिम्मत नहीं हुई की बृज भूषण शरण से सवाल जवाब कर सके। पार्टी में सबको सॉप सूंघ गया।

भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसकी फटकार के बाद बृजभूषण सिंह पर एफ़आइआर दर्ज होगी।

बृज भूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण भी राजनीति में हैं,  प्रतीक गोंडा से बीजेपी विधायक हैं।

बृज भूषण शरण सिंह के कारण शुचिता की राजनीति में भरोसा करने वालों को शर्मिंदा होना पड़ा है। बृज भूषण शरण सिंह के दाग़दार दामन से भाजपा कैसे बचती हैं, यह देखना बाक़ी है।

 



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