मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा में शीतसत्र की कार्यवाही जारी है। इस बीच प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार और सचिवालय की मिलीभगत से विधायकों के सवाल बदले जा रहे हैं, जिसे लेकर सदन में तीखा संग्राम हुआ।
विशेषाधिकार हनन के इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि कांग्रेस विधायकों को सवाल पूछने की ट्रेनिंग की जरूरत है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के मौजूदा शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सवाल पूछने के अधिकार को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखा टकराव देखने को मिला है।
कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा सचिवालय और सरकार की मिलीभगत से अपने सवालों को बदलने या एडिट करने का आरोप लगाया है, जिससे सदन के अंदर और बाहर हंगामा खड़ा हो गया है।
कांग्रेस विधायकों ने लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए दावा किया है कि उनके सवालों की मूल भावना और भाषा को उनकी सहमति के बिना बदल दिया गया है, जो उनके विशेषाधिकार का हनन है. हालांकि सरकार ने कहा है कि विधायकों को सवाल पूछने की ट्रेनिंग देने की जरूरत है. उनके आरोप सरासर गलत हैं।
पूर्व मंत्री और विधायक जयवर्धन सिंह ने सदन के अंदर उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने 1 जुलाई 2024 को राघौगढ़ डिग्री कॉलेज में कोर्स की जानकारी मांगी थी, लेकिन जवाब में उन्हें दूसरे कॉलेज का नाम और ऐसे पीजी कोर्स की जानकारी दी गई जो उनके द्वारा पूछे गए कॉलेज में चलते ही नहीं हैं।
जयवर्धन ने आरोप लगाया कि पहले गलत जवाब दिया गया और अब तो सवाल ही बदल दिया गया है. इसी तरह पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन ने भी अपने प्रश्न (क्रमांक 506) का जिक्र किया. उन्होंने भावांतर योजना के तहत किन फसलों की और कब खरीदी हुई, यह पूछा था, लेकिन उन्हें केवल योजना लागू होने की जानकारी दी गई और आगे का सवाल पूरी तरह से बदल दिया गया। उन्होंने साफ कहा कि सरकार जैसा उत्तर देना चाहती है, वैसा ही सवाल बना देती है, जो बेईमानी है।
विपक्ष के इन गंभीर आरोपों के जवाब में सत्ता पक्ष ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि विधायकों को सवाल पूछने की ट्रेनिंग देने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा कि कई बार विधायक इतने लंबे सवाल पूछते हैं कि उनका जवाब ऑटो में भरकर लाना पड़ेगा। उनका सुझाव था कि पिन पॉइंट प्रश्न पूछना चाहिए ताकि पिन पॉइंट उत्तर मिल सके. कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने भी इन आरोपों को तथ्यहीन बताया। उन्होंने कहा कि "ना सवाल बदले गए हैं, ना सरकार जवाब से भागती है।" उन्होंने कांग्रेस पर फेस सेविंग के लिए "अनर्गल बातें" करने का आरोप लगाया।
जानकारों के अनुसार, सवाल पूछने का एक निर्धारित प्रारूप होता है। विधायक ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से पूछ सकते हैं। इसमें एक सवाल तारांकित होते हैं जिसका जवाब सदन में मौखिक रूप से दिया जाता है और दूसरा अतारांकित होते हैं जिसका जवाब लिखित में दिया जाता है.इस सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को 1497 सवाल मिले हैं, जिसमें 751 तारांकित और 746 अतारांकित प्रश्न शामिल हैं।
जानकार कहते हैं कि अगर विधायक लंबे सवाल पूछते हैं, तो अध्यक्ष की अनुमति से उसे छोटा किया जा सकता है, या बड़ा उत्तर भी सीमित किया जा सकता है, लेकिन शर्त यह है कि सवाल की मूल भावना को बरकरार रखा जाना चाहिए। कांग्रेस का आरोप इसी मूल भावना को बदलने को लेकर है, जिसने सदन में टकराव बढ़ा दिया है।
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