डॉ.वेदप्रताप वैदिक।
इस बार बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने भ्रष्टाचार की जड़ पर प्रहार करने की कोशिश की है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? हमारे नेताओं और दलों के पास आने वाला पैसा! इसी पैसे की वजह से नेता भ्रष्टाचार करते हैं। उन्हीं की देखादेखी उनके अफसर भी उनसे ज्यादा भ्रष्टाचार करते हैं, क्योंकि वे नेताओं से ज्यादा काबिल होते हैं और उनकी नौकरी पक्की होती है। नेताओं को पता नहीं होता कि उनकी नौकरी कब खत्म हो जाए, कब उनकी कुर्सी नीचे से खिसक जाए। यदि राजनीतिक दलों और नेताओं का लेन-देन साफ-सुथरा हो जाए तो देश के 90 प्रतिशत भ्रष्टाचार पर अपने आप लगाम लग सकती है।
वित्तमंत्री ने घोषणा की है कि दलों को जो नकद चंदा मिलता है, वह दो हजार रु. तक ही हो सकता है। पहले जो 20 हजार रु. तक नगद लेने की छूट थी, वह खत्म की जा रही है। जो दो हजार से ज्यादा देना चाहेगा, उसे चेक से या डिजिटल विधि से देना होगा। दिखने में यह प्रावधान अच्छा दिखता है लेकिन इससे क्या फर्जी नामों की सूची 10 गुना लंबी नहीं हो जाएगी? अब तक नकद एक लाख रु. के लिए कोई भी पांच फर्जी नाम भर लिए जाते थे। अब पांच की जगह 50 भर लिए जाएंगे। भाजपा के पास तो 11 करोड़ सदस्य हैं। वह आसानी से हर सदस्य के नाम से 2 हजार रु. दिखाकर 22 हजार करोड़ रु. का फर्जीवाड़ा कर सकती है।
इस खेल में कांग्रेस तो भाजपा से भी बड़ी उस्ताद है। तजुर्बेकार है। ये दोनों पार्टियां आयकर विभाग को जो अपना कुल चंदा दिखाती हैं, वह सिर्फ कुछ सौ करोड़ का दिखाती हैं जबकि इनके पास हजारों करोड़ का नकद माल आता है। न खाता, न बही! केसरी जो कहे, वही सही !! जैसे लोगों ने नोटबंदी को चारों खाने चित कर दिया, वैसे ही इस चंदाबंदी को भी सारे दल चित कर देंगे।
वित्तमंत्री जेटली ने अपनी केटली में से एक नई चाय निकाली है। इस चाय पर दोनों असली चायवाले भाई लोग भी फिदा हैं। ये चाय है- चुनावी बॉड की। यदि आप किसी दल को मोटा पैसा देना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि आपका नाम छिपा रहे तो आप बैंकों में वह मोटा पैसा जमा करके उसके बांड खरीदकर उन्हें पार्टियों को दे सकते हैं। वाह, क्या चोर दरवाजा निकाला है, हमारे वित्तमंत्रीजी ने ! लोग बैंकों में पैसा जमा करके अपनी गर्दन क्यों फंसाएंगे? आपने जो 2 हजार के नोट निकाले हैं, अब उनकी गड्डियां आपको सीधी सूटकेसों में मिलेंगी। नेताओं, तुम चिंता मत करो। तुम भी उसी नाव में बैठे हो, जिसमें मोदी, शाह और जेटली सवार हैं। ये लोग इस नाव को डूबने नहीं देंगे।
यदि राजनैतिक दलों को भ्रष्टाचार मुक्त करना होता तो सबसे पहले उनके खातों की जांच लेखा-परीक्षक से करवाई जाती। अभी तो हमारे दल आयकर विभाग को सालाना हिसाब ही नहीं देते। सारे सांसदों, विधायकों और पार्टी अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति और आयकर हिसाब को हर साल सार्वजनिक किया जाना चाहिए। क्या आज तक किसी दल को भ्रष्टाचार के आधार पर प्रतिबंधित किया गया है? सारे दल भ्रष्टाचार करते रहने पर सर्वसम्मत हैं। ईश्वर इनकी रक्षा करे।
नया इंडिया से।
Comments