लैटरल एंट्री पर कुछ खरी-खरी

खरी-खरी            Jun 11, 2018


संजय कुमार सिंह।
प्रधान मंत्री के लिए बहुत आसान था कि वे सक्षम और योग्य मंत्रियों की नियुक्ति करते और फिर नौकरशाही पर काम करते।

एक ऐसी सरकार जिसने सबसे अशिक्षित को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया, सबसे कार्यकुशल विदेशी राजनियक को शहरी मामले दिए, सेना के एक पूर्व जनरल को विदेशी मामले देखने का काम दिया, एक पूर्व पुलिस आयुक्त को मानव संसाधन विकास का काम मिला।

सर्वश्रेष्ठ सेंट्रल बैंकर को बाहर कर दिया और अरुण शौरी को किसी भी मंत्रिमंडल में नहीं रखा वह नई प्रतिभा की बात कर रहा है।

इस सरकार में कभी भी यह यकीन नहीं रहा कि योग्यता या सुविज्ञता मंत्री होने की कोई शर्त है। लैटरल एंट्री के जरिए संयुक्त सचिव नियुक्त करने के लिए जो नाटक किया जा रहा है वह नाकामी का सही बहाना ढूंढ़ना है और इससे कुछ भी नहीं बदलेगा प्रशासन के विशेषज्ञों से भी नहीं। अगर आपकी बॉस स्मृति ईरानी हों तो आप कार्यकुशल नहीं हो सकते हैं।

Peri Maheshwer की पोस्ट (नीचे) का अनुवाद #Freeservice

It was far easier for the PM to have appointed capable and experienced ministers and then worked on the bureaucracy. A government which appointed the most uneducated person as HRD minister, the most efficient foreign diplomat handles urban affairs, A former Army General handles external affairs, a former police commissioner handles HRD, threw out the best central banker and kept Arun Shourie out of any ministry is talking of new talent. This govt. never believed that ability or expertise was a criteria to be a minister. The drama being played out to appoint Joint Secretaries through Lateral entry is searching for the right excuse for failure and wouldn't change anything even with experts in administration. You can't be efficient when your boss is Smriti Irani !

 


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