जोशीमठ के अपार दर्द की एक ही दवा है मुआवजा और प्लाट

खरी-खरी            Jan 13, 2023


कौशल सिखौला।

जोशीमठ के अपार दर्द की एक ही दवा है पांच से दस गुना मुआवजा और सुरक्षित स्थान पर उतना ही लंबा चौड़ा प्लॉट।

जिनके व्यवसायिक स्थल ध्वस्त होने है , उन्हें मुआवजे के साथ व्यवसायिक स्थल पर मुफ्त भूखंड।

यह बाद में तय करना कि इस भयावह आकस्मिक प्राकृतिक आपदा के लिए कौनसी सरकार जिम्मेदार है।

फिलहाल पीड़ितों के हाथों में सरकारी मदद का कागज पकड़ाइए , छह महीनों के खर्च के लिए उचित धनराशि दीजिए , बड़े होटलों और आश्रमों में दो दो कमरे देकर ठहराइए , खर्च वहन सरकार करे।

माना कि आपदा प्राकृतिक है पर कोई न कोई सरकार इसके लिए जिम्मेदार है।

यह वैसी आपदा नहीं है, जैसी केदारनाथ में आई थी ।

वैसी आपदा भी नहीं, जो भूकंप या सुनामी में आती है ।

जोशीमठ , कर्ण प्रयाग , नंद प्रयाग आदि की आपदा के पीछे अनियोजित विकास, भौतिकी से खिलवाड़ , पहाड़ों का रासायनिक दोहन, भारी खनन, डायनामाइट से होते पहाड़ों के कलेजे में छेद आदि जिम्मेदार हैं ।

मतलब जिम्मेदार है आदमी,  जिम्मेदार हैं विद्युत परियोजनाओं की विशाल सुरंगें , गड़गड़ाती मशीनें , गरजती रेल गाड़ियों के लिए तैयारियां , चौड़ी की जाती सड़कें, कटते जंगल , फैलते नगर ।

वक्त पड़ा है तय कीजिए कि जिम्मेदार कौन ?

फिलहाल आश्रय और पैसा दीजिए , आश्वासन के पक्के कागज पकड़ाइए ।

इतना समय नहीं तो मुख्यमंत्री की जुबान तो है,  बोलिए कि हम क्या क्या देंगे।

डूब भी रहा हो तब भी आशियाना छोड़ना आसान नहीं होता,  उम्र लग जाती है घर बनाने में,  वैसे भी घर यूं ही नहीं बनते ।

आम आदमी के पास हराम की कमाई नहीं, पसीने की रोटी है।

जिंदगी भर का अरमान होता है वह घर जो किसी की गलतियों से दरक गया, अब तोड़ा जा रहा है ।

उनकी बेबसी पर कोरे आंसू मत बहाइए , टीवी चैनलों पर मात्र सॉफ्ट स्टोरीज मत जुटाइए, जितना लुटा है , वह दिलाइए ।

माना कि वे हवाएं चली जाएंगी, वे फिजाएं कहीं और नहीं मिलेंगी परंतु बस तो जाएगा आशियाना ।

यह अच्छी बात है कि जोशीमठ का दर्द इस समय पूरे संसार का दर्द बन गया है ।

जोशीमठ के निवासी अपनी पीड़ा अकेले नहीं भोग रहे।

हमारा दिल भी जोशीमठ वासियों के साथ धड़क रहा है,  उनके गम में शुमार हैं ।

हमें भी खाना पीना अच्छा नहीं लग रहा।

कईं बार उनकी पीड़ा देखकर सच मानिए हमारा भी दम घुटने लगता है । परमपिता परमात्मा बड़े दयालु हैं।

वही हमारा अंतिम सहारा हैं, विश्वास हैं ।

इस महान संकट से वे ही बाहर निकलेंगे, ऐसा भरोसा हम सभी का है ।

 


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