मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने मंदसौर कलेक्टर सहित एसडीएम व तहसीलदार पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही न्यायालय में सच छुपाने पर कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार को कोर्ट में पहुंचकर 20 फरवरी को बिना शर्त माफी मांगनी होगी वरना कोर्ट के माध्यम से आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला ग्राम लायता स्थित चारभुजानाथ मंदिर से जुड़ी अलग अलग खसरा नंबर वाली करीब 6 हेक्टेयर भूमि का है। भूमि स्वामी सत्यनारायण सोमानी की याचिका पर 14 मई 1998 को सिविल जज प्रथम श्रेणी ने सोमानी के पक्ष में डिक्री पास की व उक्त जमीन का स्वामी घोषित कर दिया।
जब तहसीलदार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो याचिकाकर्ता सोमानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 2003 में सिविल कोर्ट की डिक्री को तत्कालीन कलेक्टर ने अपीलेट कोर्ट में चैलेंज किया। मामले में 20 अक्टूबर 2003 को कोर्ट ने दोनों याचिकाओं का कॉमन जजमेंट दिया व याचिकाकर्ता सोमानी को मंदिर व भूमि का स्वामी घोषित किया।
2007 में राज्य सरकार की ओर से प्रशासन ने दूसरी अपील दायर की। 19 मई 2011 को जजमेंट व ऑर्डर द्वारा कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद फिर 2012 में याचिकाकर्ता सोनी ने कोर्ट में डिक्री के पालन के लिए कार्रवाई शुरू करवाई। कोर्ट के नोटिस पर अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई।
21 अक्टूबर 2021 को इसी कोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर गौतमसिंह को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया फिर भी कार्रवाई नहीं होने पर याचिकाकर्ता फिर हाईकोर्ट पहुंचे।
अधिवक्ता के अनुसार हाईकोर्ट में जब कार्रवाई नहीं करने का कारण पूछा तो अधिकारी एक-दूसरे के पाले में गेंद डालते रहे। 9 जनवरी 2024 को कोर्ट ने कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार तीनों को कोर्ट में हाजिर होने को कहा।
30 जनवरी को हाईकोर्ट न्यायाधीश विवेक रूसिया ने अपने फाइनल जजमेंट में फटकार लगाते हुए मंदसौर कलेक्टर दिलीपकुमार यादव, एसडीएम शिवलाल शाक्य व तहसीलदार रमेश मसारे को 1 लाख रुपए का जुर्माना भरने व माफी मांगने के लिए आदेशित किया।
अभिभाषक मुकेश माली ने बताया कि अधिकारियों की लापरवाही पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार को कोर्ट में पहुंचकर 20 फरवरी को बिना शर्त माफी मांगनी होगी।
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