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जीजीटी स्तर के नाप से जानें लीवर की सेहत

खास खबर            Sep 22, 2022


 

 डॉ.रामावतार शर्मा।

आज के माहौल को देखें तो हम पाएंगे कि लोग कितनी तरह की दवाएं लंबे समय तक लेते रहते हैं।

खाद्य पदार्थों में अनियंत्रित मिलावट हो रही है।

 हवा कितनी दूषित हो गई है और जो लोग शराब पीते हैं वे बस पीते ही जाते हैं।

ऐसे में सवाल उठता हैं कि हम अपने शरीर के उस अंग का कितना ध्यान रख रहे हैं जिस पर इन सब का सीधा प्रभाव पड़ता है।

मनुष्य के सबसे शक्तिशाली इस अंग का नाम है लीवर यानि यकृत।

देखा गया है कि जो लोग शराब पीते हैं वे इस तरह पीते हैं मानों कल का सूरज उगनेवाला नहीं है।

अत्यधिक शराब लीवर को बड़ा नुकसान पहुंचाती है और लंबे समय में एल्कोहलिक फैट्टी लीवर,एल्कोहलिक हेपेटाइटिस,लीवर फाइब्रोसिस जिसमें विशिष्ट प्रोटीन लीवर में रुकावट पैदा करते हैं और सिरोसिस लीवर जिसमें लीवर सिकुड़ जाता है आदि हो जाते हैं।

चूंकि लीवर ही शराब का चयापाचय ( मेटाबोलाइज) करता है जिसमें एसेटेलडेहाइड नामक रसायन निर्मित होता है जो कि शरीर में कैंसर भी कर सकता है।

अल्कोहल लीवर के अलावा पैंक्रियाज, आमाशय ( स्टोमक), हृदय और मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचाता है।

यह सब तब होता है जब शराब अच्छी खासी मात्रा में लंबे समय तक पी जाती है परंतु अत्यधिक सेवन से अल्पावधि में भी नुकसान हो सकता है।

हमारे लीवर के स्वास्थ्य का ध्यान हम एक साधारण सी रक्त जांच से रख सकते हैं।

इस जांच का नाम है रक्त जीजीटी स्तर का नाप।

किसी भी प्रकार के लीवर नुकसान में इसका रक्त स्तर तेजी से बढ़ता है।

सामान्यतः जीजीटी लीवर में उच्च मात्रा में होता है पर रक्त में बहुत कम मात्रा में नापा जाता है।

जब लीवर पर डायबिटीज,शराब,दवाइयां आदि का कुप्रभाव होता है तो जीजीटी लीवर से छलक कर रक्त में प्रविष्ट हो जाता है तो इसके रक्त स्तर तेजी से बढ़ जाते हैं।

 यहां पर यह जानना जरूरी है कि इसके उच्च स्तर यह तो बताते हैं कि लीवर को नुकसान हुआ है पर यह नहीं बताते कि किस वजह से हुआ है।

कारण जानने के लिए एक अनुभवी चिकित्सक से परामर्श करना पड़ेगा।

बेहतर होगा कि जांच से 6-8 घंटे पहले कुछ नहीं खाया जाए और 24 घंटे पहले तक शराब का सेवन नहीं किया जाए।

 यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो जांच की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाती है।

 

 



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