मल्हार मीडिया भोपाल।
कूनो नेशनल पार्क में चीता पुनर्प्रजनन परियोजना को बड़ा झटका लगा है। अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस पर जंगल में छोड़े गए दो शावकों में से एक की मौत हो गई है। यह घटना भारत के चीता संरक्षण के प्रयासों के लिए चिंता का विषय है।
यह 10 महीने का शावक 4 दिसंबर को अपनी मां वीरा और भाई के साथ कूनो के पारौंड रेंज में छोड़ा गया था। सीएम मोहन यादव ने इस मौके को 'ऐतिहासिक' बताया था। लेकिन, रात होते-होते शावक अपनी मां से बिछड़ गया और सुबह उसकी मौत की खबर आई।
वन अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार रात को शावक के रेडियो-कॉलर का सिग्नल खो गया था। शुक्रवार को जब सिग्नल फिर से मिला, तो वह मृत पाया गया। हालांकि, उसके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे।
मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन शुभ्रंजन सेन ने बताया कि वीरा और उसका दूसरा शावक सुरक्षित हैं और साथ हैं। पार्क में चीतों की निगरानी के लिए वन्यजीव पशु चिकित्सकों, रेडियो-ट्रैकिंग विशेषज्ञों और फील्ड स्टाफ की एक टीम चौबीसों घंटे तैनात है।
यह घटना भारत के चीता पुनर्प्रजनन परियोजना के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब इसे एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा था। दक्षिण अफ्रीका से लाई गई वीरा ने फरवरी 2025 में इन दो शावकों को जन्म दिया था। कूनो नेशनल पार्क में अब कुल 27 चीते बचे हैं। इनमें आठ वयस्क चीते हैं, जिनमें पांच मादा और तीन नर शामिल हैं। बाकी 19 चीते भारत में जन्मे शावक हैं।
कूनो नेशनल पार्क में इससे पहले भी एक और चीते के शावक की मौत हो गई थी। यह शावक ज्वाला का था और उसकी मौत तेंदुए से झड़प के कारण हुई। ज्वाला के जिस 20 महीने के शावक की मौत हुई थी, वह भी अपनी मां और दूसरे शावकों से अलग हो गया था। उसकी मौत का कारण तेंदुए से लड़ाई बताया गया था।
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