कीर्ति राणा।
नक्सली इलाकों में कहां बारुदी सुरंग बिछी है, पांव रखते ही कब, कहां धमाका हो जाए... इसकी जानकारी आसानी से नहीं लग पाती! भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में कुछ ऐसा ही मिजाज पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का माना जाता है। भाजपा में यह दौर जब राग जैजैवंती गाया जा रहा है, तब उमा भारती ने पंचम स्वर में आलाप छेड़ दिया है।
भारतीय संस्कृति में तीन हठ का अकसर जिक्र किया जाता है- राजहठ, बालहठ और स्त्री हठ। आज की राजनीति में ये तीनों हठ एक साथ किसी राजनेता में देखना हो तो पहली पायदान पर उमा भारती का ही नाम लिया जा सकता है!
राजनीति की इस हठयोगिनी ने पार्टी की उठापटक में इसका खामियाजा भी भुगता है, लेकिन धारा के विपरीत नहीं चले तो फिर साध्वी ही क्या?
आज की भाजपा में अमित शाह को चाणक्य कहा जाता है, लेकिन वे भी यह दावा नहीं कर सकते कि उन्होंने साध्वी उमा भारती के मन को पढ़ लिया है!
कहा जाता है कि भाजपा में सुनने की जितनी स्वतंत्रता है, उतनी बोलने की आजादी नहीं, लेकिन उमा भारती ऐसे किसी अनुशासन से सदैव खुद को ऊपर मानती रही हैं। मप्र से दिग्विजयसिंह सरकार की रवानगी का श्रेय यदि उमा भारती के खाते में दर्ज है तो 1994 के हुबली मामले में गैर जमानती वारंट जारी हुए तो भाजपा नेतृत्व ने उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़ने के निर्देश दिए थे। राम मंदिर आंदोलन के वक्त से भाजपा में फायरब्रांड नेता कहा जाता है तो इसलिए कि हाईकमान के इस फैसले के खिलाफ आगबबूला उमा भारती दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में चल रही बैठक में मीडिया के सामने ही लालकृष्ण आडवाणी को खरी-खोटी सुनाकर आ गई थीं। बोलने की इस आजादी का परिणाम भी उन्हें भुगतना पड़ा था। पार्टी ने निष्कासित कर दिया तो खुद ने भारतीय जनशक्ति दल गठित कर अपने समर्थकों को चुनाव भी लड़ाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में पार्टी ने उन्हें वापस भाजपा में ले लिया था।
मप्र और यूपी में उनके प्रभाव का ही नतीजा रहा कि यदि यहां वे मुख्यमंत्री बनीं तो यूपी के झांसी से लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री भी बनीं। यह बात अलग है कि गाय, गंगा, गीता की दुहाई देते रहने वाली उमा भारती केंद्रीय मंत्री रहते नमामी गंगे प्रोजेक्ट में उतना उल्लेखनीय काम करके नहीं दिखा पाईं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश में भाजपा को पुन: सत्ता में लाने के लिए कमान अपने हाथ में ले रखी है और एक-एक सीट पर सर्वे और अपने जासूसों की रिपोर्ट के आधार पर प्रत्याशी फाइनल कर रहे हैं... ऐसे में उमा भारती ने मुख्यमंत्री के क्षेत्र सीहोर, वीडी शर्मा के जबलपुर के साथ ही अपने प्रभाव वाले बुंदेलखंड क्षेत्र से अपने 19 समर्थक प्रत्याशियों को टिकट देने का बम फोड़ दिया है। इन प्रत्याशियों के नामों की सूची भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को सौंपने के साथ मीडिया में वायरल भी कर दी है।
एक तरह से इस लेटर के जरिए उन्होंने उन नेताओं को मैसेज भी दे दिया है, जो उन्हें मप्र की पोलिटिक्स में आउटडेटेड मानने का भ्रम पाल चुके थे! बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को 25 अगस्त को उनके द्वारा लिखे गए इस लेटर में 19 सीटों पर तो टिकट मांगने के साथ ही कहा है कि कुछ और नाम मैं अगली सूची में भेजूंगी। जैसा कि उनका मिजाज रहा है... भाजपा नेतृत्व के दबाव के चलते वह यह बयान भी जारी कर सकती हैं कि उक्त क्षेत्रों से पार्टी जिन्हें भी प्रत्याशी बनाएगी, उनका समर्थन करेंगी।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने जिन 19 सीटों पर टिकट मांगे हैं, उनमें सीहोर विधानसभा से गौरव सन्नी महाजन, सागर देवी से दीवान अर्जुन सिंह, छतरपुर जिले की बिजावर या राजनगर से बाला पटेल, निवाड़ी से अखिलेश अयाची, पोहरी से नरेन्द्र बिरथरे, भोपाल दक्षिण-पश्चिम से शैलेन्द्र शर्मा, सिलवानी से ठा. भगवानसिंह लोधी, खरगोन-कसरावद से वीरेन्द्र पाटीदार, बहोरीबंद से राकेश पटेल, जबलपुर उत्तर-मध्य से शरद अग्रवाल, भिण्ड मेहगांव से देवेन्द्रसिंह नरवरिया, सतना से ममता पाण्डे, इछावर से डॉ. अजयसिंह पटेल, सांची से मुदित शेजवार, गंजबसौदा से हरिसिंह कक्काजी, लहार से रसाल सिंह, उज्जैन बड़नगर से संजय पटेल (चीकली वाले), बैतूल शहर से योगी खण्डेलवाल, डिंडोरी से दुलीचंद उरैती शामिल हैं। भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी अधिकृत सूची आना बाकी है।
बहुत संभव है कि इस सूची से पहले उमा भारती अपने समर्थक प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दें! भाजपा नेतृत्व के खिलाफ अपने समर्थकों को टिकट देने का दबाव सार्वजनिक करके उमा भारती ने भाजपा शासित राज्यों के नेताओं को यह संदेश भी दे दिया है कि पार्टी तब से है, जब अमित शाह कुछ नहीं थे।
अमित शाह का इतना भी आतंक नहीं मानें कि ‘मन की बात’ कहने का अधिकार भी भूल जाएं! एक तरफ भाजपा नेतृत्व सारे नाराज क्षत्रपों को एक जाजम पर लाने की कवायद में लगा है... ऐसे में उमा भारती के ये तेवर भाजपा में भूकंप लाने जैसे ही हैं! ऐसा नहीं कि उनकी नाराजी को दूर करने के प्रयास मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नहीं किए।
शराब नीति में बदलाव और हाते बंद करने का निर्णय उनके ही दबाव में लिया गया... यह बात अलग है कि अब कलालियों के बाहर सड़कें ही हाता बन गई हैं।
साध्वी के करीबी प्रीतम लोधी को विधानसभा चुनाव का टिकट और भतीजे राहुल लोधी को शिवराज मंत्रिमंडल में हाल ही में शामिल किया गया है, लेकिन उनकी नाराजी है... कि कम नहीं हुई है! बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को चित्रकूट में ‘जन-आशीर्वाद यात्रा’ को हरी झंडी दिखाकर मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया।
उमा भारती को बीजेपी ने ‘जन-आशीर्वाद यात्रा’ के कार्यक्रम में नहीं बुलाया तो इस पर उन्होंने अपनी नाराजगी जताई। उमा भारती ने कहा है कि मुझे ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ में बीजेपी ने निमंत्रण देने की औपचारिकता भी नहीं निभाई।
हो सकता है कि वे (बीजेपी नेता) घबरा गए हों कि अगर मैं वहां रहूंगी तो पूरी जनता का ध्यान मुझ पर होगा। इसी के चलते नहीं बुलाया होगा!
उमा भारती ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुझे तो डर है कि सरकार बनने के बाद मुझे पूछेंगे या नहीं! उन्होंने पार्टी नेताओं को याद भी दिलाया कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2020 में सरकार बनाने में मदद की तो उन्होंने भी 2003 में बड़ी बहुमत वाली सरकार बनवाई है।
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