ममता मल्हार।
मध्यप्रदेश निकाय चुनावों के प्रचार का शोर सोमवार 6 जुलाई की शाम से थम गया। ताबड़तोड़ प्रचार में जहां प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा आक्रामक तो कांग्रेस सामान्य तरीके से प्रचार करती दिखी।
भाजपा के प्रचार ने आभास दिया कि पार्टी चुनाव लड़ रही है वहीं कांग्रेस के प्रचार तरीकों से यह लगा कि सिर्फ कैंडीडेट चुनाव लड़ रहा है।
भाजपा ने यह चुनाव किस गंभीरता से लड़ा है यह इसी तथ्य से साबित हो जाता है कि मुख्यमंत्री सहित सारे दिग्गज नेता बूथ—बूथ तक जाकर प्रत्याशियों के समर्थन में कैंपेनिंग करते नजर आए।
22 जून से चुनाव प्रचार की कमान सम्हालने मैदाने में उतरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रति दिन औसतन 4 रोड शो और 10 सभाओं को संबोधित किया है।
इस लिहाज से देखें तो मुख्यमंत्री ने 10 दिन में 40 सभाएं और 19 रोड शो किए हैंं।
उदाहरण के लिए 3 जुलाई को ही मुख्यमंत्री का ही प्रचार का शेड्यूल देखें तो प्रचार के समाप्त होने के एक दिन पहले सुबह 7:30 बजे शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल नगर निगम क्षेत्र स्थित 12 नंबर स्टॉप क्षेत्र में स्थानीय नागरिकों के साथ चाय पर चर्चा की।
यानि औसतन एक दिन में मुख्यमंत्री ने 1554 किमी (फ्लाइट डिस्टेंस) (सड़क मार्ग द्वारा दूरी- 1820 किमी) की दूरी तय कर 4 रोड शो किए और 10 जनसभाएँ संबोधित कीं।
यानि मुख्यमंत्री ने एक दिन में करीब 3370 किमी का सफर तय कर चुनावी प्रचार में ताकत झोंकी है।
इसके बाद भोपाल में ईदगाह हिल्स पर भाजपा द्वारा मालती राय के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित किया।
इसके बाद सीएम शिवराज 275 किमी (फ्लाइट डिस्टेंस) का सफर तय कर जबलपुर पहुँचे जहाँ उन्होंने नगर निगम क्षेत्र में भाजपा द्वारा डॉ. जितेंद्र जामदार के पक्ष में आयोजित 2 जनसभाओं को संबोधित किया और रोड शो किया।
जबलपुर से सीएम ने सिंगरौली के लिए उड़ान भरी जिसकी दूरी 295 किमी है। सिंगरौली नगर निगम क्षेत्र सीएम शिवराज ने चंद्रप्रताप विश्वकर्मा के समर्थन में आयोजित 2 जनसभाओं को संबोधित किया और 2 रोड शो किये।
सीएम शिवराज इसके बाद 488 किमी की दूरी तय कर ग्वालियर पहुँचे जहाँ मुख्यमंत्री जी ने नगर निगम क्षेत्र में सुमन शर्मा के समर्थन में आयोजित 20 किमी लंबे रोड शो में भाग लिया और 4 छोटी जनसभाओं को संबोधित किया।
इसके बाद वो 464 किमी दूर स्थित इंदौर के लिए रवाना हो गए और 4 जुलाई को इंदौर में रोड शो और जनसभाएं कीं।
इस तरह देखा जाए तो पूरे नगरीय निकाय चुनाव में 10 दिन में भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री प्रदेशाध्यक्ष, सांसद, विधायकों सहित पूरे प्रदेश में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
क्योंकि इन चुनावों के परिणाम बहुत कुछ विधानसभा चुनाव की रूपरेखा तय कर देंगे।
Comments