राकेश दुबे।
केंद्र सरकार ने 2017 में नौकरी के मौकों में सबसे ज्यादा कटौती की है। जारी शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में कार्मिक राज्य मंत्री ने एक लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2016 में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा भरे जाने वाले पदों में सन 2014-15 के मुकाबले साढ़े बारह हजार से भी ज्यादा की कमी आई है। 2017 के बजट सत्र में भी कार्मिक राज्यमंत्री ने लोकसभा में बताया था कि वर्ष 2015 में हुई केंद्र सरकार की सीधी भर्तियां 2013 के मुकाबले 89 प्रतिशत कम थीं।
वैसे सरकार ने दो लाख 80 हजार नौकरियों के लिए बजट बनाने की बात बताई थी, मगर ये नौकरियां कहां और किसे मिलीं, सरकार को भी नहीं पता। साल 2017 की शुरुआत ही पांच प्रतिशत से अधिक की बेरोजगारी दर के साथ हुई थी। साल के अंत में, यानी दिसंबर में सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) ने इसे 4.8 प्रतिशत बताकर कुछ राहत तो दी है, मगर नोटबंदी में बेरोजगार हुए लोगों के वापस काम पर लौटने से शहरी बेरोजगारी 5.5 प्रतिशत के बेचैनी भरे आंकड़े पर पहुंच चुकी है।
संगठित निजी क्षेत्र में हालात और ज्यादा खराब हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड देश की शीर्ष कंपनियों में नए कर्मचारियों की संख्या साल 2016-17 में घटकर 66000 तक पहुंच गई, जबकि साल 2015-16 यह 1,23,000 थी। रोजगार के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हाल तक सबसे सेफ माना जाता था, मगर वर्ष 2017 में देश भर के 122 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो चुके हैं।
आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी जैसे प्राइम इंस्टीट्यूट्स में पिछले वर्ष 5915 सीटें खाली ही रहीं। पिछले महीने एसोचैम ने बताया कि बी कैटिगरी के बिजनेस स्कूलों से निकलने वाले 20 प्रतिशत छात्रों के पास ही रोजगार की सूचना हैं। नौकरियों की कमी के पीछे सरकार का तर्क है कि उसने सीधी भर्तियों की जगह ऐसे मौके उपलब्ध कराए हैं, जिनसे रोजगार पैदा होते हैं, जैसे कि स्टार्टअप इंडिया या मुद्रा योजना।
हकीकत यह है कि दस हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम स्टार्टअप इंडिया योजना के तहत अब तक मात्र 5 करोड़ 66 लाख रुपये जारी हुए हैं। सवाल धन का नहीं सरकार की मंशा का है। उच्च शिक्षा रोजगार के अवसर खोलने वाली हो यह सरकार का उद्देश्य होना चाहिए सरकार का ध्यान विदेश में रोजगार के लिए जाते युवाओं को भी रोकने के लिए नीति बनाना चाहिए। देश के उत्पादन क्षेत्र में नये रोजगार निकले,इसकी पहल होना चाहिए।
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