केशव दुबे।
मध्य प्रदेश में 4 फरवरी से शुरू होने जा रही बाघों की गणना की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस बार की गणना में प्रदेश का वन्य प्राणी संरक्षण विभाग किसी चूक की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता, इसलिए कर्मचारियों की ट्रेनिंग पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
नियमित ट्रेनिंग के अलावा विभाग अब अपने फील्ड वर्कर्स तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया
का भी सहारा ले रहा है, ताकि उन्हें बाघ गणना की बारीकियों की जानकारी दी जा सके।
बाघों की गणना के लिए वन्य प्राणी संरक्षण विभाग में ट्रेनिंग का दौर जारी है। इसके लिए 4 जनवरी से मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है, जो 25 जनवरी तक चलेगी। इसके बाद मास्टर ट्रेनर्स अपने-अपने क्षेत्र में अन्य कर्मचारियों को ट्रेनिंग देंगे।
विभाग को कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए सोशल मीडिया का सहारा क्यों लेना पड़ा, इस बारे में पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) कार्यालय के प्रवक्ता रजनीश के. सिंह का कहना है कि यह महसूस किया गया है कि जब एक कर्मचारी के जरिए दूसरे और फिर तीसरे कर्मचारी को ट्रेंड किया जाता है, तो वो सारी बातें अंतिम कर्मचारी तक नहीं पहुंच पातीं, जो पहले कर्मचारी को ट्रेनिंग में बताई गई थीं।
इस कमी को दूर करने के लिए ही विभाग सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है, ताकि सीधे-सीधे अंतिम पायदान वाले कर्मचारियों से संवाद स्थापित किया जा सके।
विभाग के प्रवक्ता श्री सिंह बताते हैं कि इसके लिए हर स्तर पर विभागीय कर्मचारियों व्हाट्सअप ग्रुप बनाए गए हैं। कर्मचारियों को जो संदेश या जानकारी देनी होती है, वह भोपाल स्थित
मुख्यालय से जारी की जाती है और फिर वह हर स्तर के ग्रुप में शामिल कर्मचारियों तक पहुंच जाती है।
हाल ही में विभाग ने 7 ऐसी स्लाइड्स जारी की हैं, जो इमेज के रूप में हैं। हर इमेज में एक खास विषय की जानकारी लिखी होती है।
विभाग द्वारा सोशल मीडिया के जरिए अपने कर्मचारियों को जो जानकारी दी जा रही है, उसमें अधिमतम जोर उन साक्ष्यों की पहचान और संग्रहण पर है, जिनसे क्षेत्र में बाघ या अन्य मांसाहारी जीव की उपस्थिति सुनिश्चित होती है। अलग-अलग स्लाइड्स में बताया गया है कि बाघों के पगमार्क, विष्ठा, पेड़ों पर की जाने वाली खरोंच और स्प्रे की पहचान कैसे की जाए। इनमें गणना के दौरान होने वाली सामान्य गलतियों और उनसे बचने के लिए क्या सतर्कता अपनाई जानी चाहिए, इसकी जानकारी भी दी गई है।
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