मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों को लेकर आज CM हाउस में बैठक आयोजित की गई जिसमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी मौजूद रहे।
इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्तियों को लेकर एतराज जताया और अपनी असहमति जताई। बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव जी और विधानसभा अध्यक्ष भी मौजूद थे।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने चयन प्रक्रिया को लेकर गंभीर आपत्तियां जताई हैं। उन्होंने प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री इस बैठक में जनता के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता देंगे और चयन प्रक्रिया को निष्पक्ष तथा पारदर्शी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसे राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रहना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि आयोग जैसी संवैधानिक संस्था में निष्पक्ष और योग्यता आधारित नियुक्तियां होनी चाहिए, लेकिन सरकार अपने पसंदीदा लोगों को जिम्मेदार पदों पर बैठाना चाहती है।
उन्होंने पूछा कि क्या इन पदों के लिए सार्वजनिक रूप से आवेदन आमंत्रित किए गए थे या केवल नामांकन के आधार पर चयन हो रहा है?
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि मानव अधिकार आयोग अधिनियम के अनुसार, पद रिक्त होने के तीन माह के भीतर नियुक्ति होना चाहिए, लेकिन बीते कई वर्षों से नियुक्तियों में देरी की जा रही है।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि जिन व्यक्तियों को नामित किया गया है, उनकी योग्यता और चयन की प्रक्रिया कितनी पारदर्शी रही।
उमंग सिंघार ने यह आरोप भी लगाया कि न्यायिक सदस्य के पद का नाम बदलकर 'प्रशासकीय सदस्य' कर दिया गया है ताकि एक विशेष व्यक्ति को पद दिया जा सके। उन्होंने इसे पद के स्वरूप में अनावश्यक फेरबदल बताते हुए संविधान और कानून के विरुद्ध बताया।
उन्होंने कहा कि आयोग में नियुक्तियों को लेकर व्यापक सूचना सार्वजनिक नहीं की गई, बल्कि केवल चुनिंदा लोगों को ही जानकारी देकर उनसे आवेदन मंगवाए गए।
इस तरह की प्रक्रिया से आम लोगों के अवसरों को सीमित किया गया है। सिंघार ने यह भी पूछा कि आखिर एक ही व्यक्ति को बार-बार अध्यक्ष का प्रभार क्यों सौंपा जा रहा है? उन्होंने इसे एक्ट का उल्लंघन बताते हुए, निष्पक्षता और पारदर्शिता की मांग की।
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