रवीन्द्र जैन।
मध्यप्रदेश की राजनीति में आजकल कमलनाथ-शिवराज केमिस्ट्री चर्चा का विषय बनी हुई है। चुनाव से पहले एक-दूसरे को जमकर कोसने वाले इन दोनों नेताओं में चुनाव के बाद राजनीतिक सामंजस्य दिखाई दे रहा है। दोनों की मेल मुलाकातें और एक-दूसरे की तारीफ से कांग्रेस और भाजपा खेमों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।
रविवार को विधायक दल की बैठक में इसका असर दिखा। कुछ कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री से पूछ लिया कि अब व्यापमं और ई-टेंडर घोटालों की जांच तेज होगी या नहीं?
मप्र विधानसभा चुनाव के दौरान जो शिवराज सिंह चौहान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को थका उद्योगपति कहते नहीं थकते थे और कमलनाथ ने भी शिवराज को भ्रष्टाचारी नेता बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब चुनाव के बाद दोनों नेताओं के बीच जबर्दस्त केमिस्ट्री देखने को मिल रही है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार छिंदवाड़ा पहुंचे कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा करते हुए शिवराज सिंह चौहान को बड़े दिल का नेता बताया। उन्होंने यह भी कहा कि छिंदवाड़ा के विकास में जहां भी जरूरत पड़ी शिवराज ने उन्हें पूरा सहयोग किया है। दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान के तेवर भी बदले हुए नजर आ रहे हैं।
वे भी प्रदेश में जोड़-तोड़ कर भाजपा सरकार बनाने के अपने बयानों से पीछे हट गए हैं। स्पीकर चुनाव का मुद्दा हो या हार्स ट्रेडिंग की बात हो शिवराज का साफ कहना है कि भाजपा को इन विवादों में नहीं पड़ना चाहिए।
तय है कि शिवराज के बयानों से कमलनाथ सरकार को राहत महसूस हो रही है। यह भी चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद इन दोनों नेताओं के बीच लगभग 3 मुलाकातें हो चुकी हैं। इन मुलाकातों ने कमलनाथ और शिवराज के बीच जमी बर्फ को पिघलाने का काम किया है।
दरअसल विपक्ष काफी मजबूत है। विपक्ष में शिवराज के समर्थक विधायकों की संख्या भी अधिक है। ऐसे में कमलनाथ की मजबूरी है कि सरकार को चलाने उन्हें हर कदम पर विपक्ष के सहयोग की जरूररत होगी। दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान की मजबूरी उनके कार्यकाल में हुए व्यापमं और ई-टेंडर जैसे बड़े घोटाले हैं।
सरकार चाहे तो इन घोटालों के जरिए शिवराज और उनके चहेतों पर नकेल कसी जा सकती है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कमलनाथ और शिवराज दोनों को फिलहाल एक दूसरे की जरूरत है यही कारण है कि दोनों के बीच जबरर्दस्त केमस्ट्री दिखाई दे रही है।
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