राकेश दुबे।
वैसे तो अभी माहौल होली का है, परन्तु यह होली का मजाक नहीं हकीकत है कि भारत खुशहाल देशों की गिनती में नीचे खिसक गया है। देश की चौकीदारी करते चौकीदार, उसकी निगहबानी करते पहरेदार और हम सब से यह सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ और यह गिरावट कैसे थमेगी ?
संयुक्त राष्ट्र विश्व खुशहाली रिपोर्ट में इस साल भारत 140 वें स्थान पर रहा जो पिछले साल के मुकाबले सात स्थान नीचे है। फिनलैंड लगातार दूसरे साल इस मामले में शीर्ष पर रहा। इस मामले में भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी पिछड़ गया है।
देश चुनाव की दहलीज पर खड़ा है । मेरा यह सवाल लाजिमी है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? चौकीदार, पहरेदार, हम सब या देश की नीति। घूम –फिर के उत्तर वही है जिस देश में सत्ता और प्रतिपक्ष नीति विहीन हो वहां खुशहाली नहीं बदहाली ही दिखेगी।
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने कल, जी हाँ बीते हुए कल यह रिपोर्ट जारी की है। वैसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में 20 मार्च को विश्व खुशहाली दिवस घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र की ये सूची 6 कारकों पर तय की जाती है।
इसमें आय, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, सामाजिक सपोर्ट,आजादी, विश्वास और उदारता शामिल हैं।रिपोर्ट के अनुसार,पिछले कुछ वर्षों में समग्र विश्व खुशहाली में गिरावट आयी है। भारत में यह गिरावट निरंतर बढ़ी है। भारत 2018 में इस मामले में 133 वें स्थान पर था, जबकि इस वर्ष 140 वें स्थान पर रहा।
अब जरा जिम्मेदार 6 कारकों पर रौशनी डालें, देश की दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जन संख्या ने आय घटाई है। स्वस्थ जीवन की प्रत्याशा भारत में इसलिए नहीं की जा सकती की तमाम योजनओं के बाद निजी अस्पताल मजबूरी है जो लूट का खेल।
खुलेआम सरकार की नाक के नीचे खेल रहे हैं। आज़ादी है तो उसे क्या ओढ़ें क्या बिछायें देश में कहीं भी नारे लग जाते हैं, ”भारत तेरे टुकड़े होंगे- इंशाअल्लाह,इंशाअल्लाह”। इससे सबसे ज्यादा विश्वास कम हो रहा है इस व्यवस्था के खिलाफ।
उदारता के अंतिम बिंदु पर देश का हाल यह है कि आतंकवाद पर हमारे विरोध में खड़े चीन की बनी पिचकारी से आज हम होली खेल रहे हैं। आज की होली में उड़ रहे लाल रंग में, मिलावट है। सत्ता के अहम की, प्रतिपक्ष की नासमझी की, और नागरिकों की मजबूरी की।
यह रिपोर्ट हम सबके गालों पर कालिख मलती है। संयुक्त राष्ट्र की सातवीं वार्षिक विश्व खुशहाली रिपोर्ट, जो दुनिया के 156 देशों को इस आधार पर रैंक करती है कि उसके नागरिक खुद को कितना खुश महसूस करते हैं।
इसमें इस बात पर भी गौर किया गया है कि चिंता, उदासी और क्रोध सहित नकारात्मक भावनाओं में वृद्धि हुई है।
भारत में यह सब साफ दिखता है। भारत में सेना से सवाल पूछने का जो चलन शुरू हुआ है वो देश को कैसे खुशहाल रहने देगा?
रोज आत्म हत्या करते किसान और डूबते धंधे कैसे सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के आंकड़ों को थाम सकेंगे ? नये हथियार कैसे इस रवैये से आयेंगे?
इस बदरंग तस्वीर को कौन साफ करेगा चौकीदार या पहरेदार ?
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान 67वें , बांग्लादेश 125वें और चीन 93 वें स्थान पर है। युद्धग्रस्त दक्षिण सूडान के लोग अपने जीवन से सबसे अधिक नाखुश हैं, इसके बाद मध्य अफ्रीकी गणराज्य (155 ), अफगानिस्तान (154), तंजानिया 153 और रवांडा (152) हैं।
भारत 140वें स्थान पर है, सोचिये इसे कैसे बदला जा सकता है। बात हम सब की है, जिसमें चौकीदार, पहरेदार सब शामिल हैं। इस बदहाली में भी होली की शुभकामनाएं।
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