छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।
देश डिजीटल होता जा रहा है पर बुंदेलखंड का युवा हिंसक होता जा रहा है। जिन हाथों में किताब और कलम होना चाहिये। वो युवा तंमचे रखने का ना सिर्फ शौकीन हो चला है बल्कि हत्या व संगीन वारदातों को अंजाम देना उसके बायें हाथ का खेल बनता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2015 में सागर संभाग के पांच जिलो में संगीन वारदातो में गिरफतार 35959 आरोपियों में 80 प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के थे।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में हाल में घटनाओ ने सभी को चौंका दिया। नौगांव नगर से महज दो किलामीटर दूर 4 फरवरी को अर्धगर्दन कटा एक युवा का शव पुलिस ने बरामद किया। मृतक का नाम नियाज खान था। उसके दो नाबालिग दोस्तों ने ही उसका कत्ल कर दिया। गिरफ्तार आरोपी 11 वीं और 12 वीं के छात्र निकले। इसी तरह पैसे के लेनदेन पर बड़ा मलहरा थाने के ग्राम मझगुवां खुर्द निवासी कक्षा 9 वी के छात्र मुकेश रैकवार की हत्या कर दी गई। इस मामले में भी दो दोस्तो ने ही मुकेश की हसिये से गला काटकर हत्या कर दी। बुंदेलखंड में इस तरह की वारदाते आम होती जा रही है। जिनमें नाबालिग या कम उम्र के युवा संगीन वारदातो को अंजाम देन में कोई हिचक नही दिखा रहे। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों अनुसार 2015 में सागर संभाग के पांच जिलों छतरपुर, दमोह, पन्ना, सागर एंव टीकमगढ में कुल 22 हजार 255 अपराध भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत दर्ज हुये। जिसमें हत्या के 255, हत्या के प्रयास के 264 और बलात्कार के 401 मामले पंजीबद्ध हुये।
संगीन वारदातों के आरोप में संभाग में 35959 लोगो की गिरफतारी हुई। जिसमें छतरपुर में 8427, दमोह में 3165, पन्ना में 3199, सागर में 13595, और टीकमगढ में 7573 पुरूष आरोपियो को गिरफतार किया गया। भारतीय दंड विधान अर्थात संगीन वारदातो के आरोप में गिरफतार आरोपियो में 18 वर्ष से कम आयु के पन्ना, सागर और टीकमगढ में 606 नाबालिगो की गिरफतारी हुई। छतरपरु और दमोह पुलिस ने नाबालिगो की गिरफतारी के रिकार्ड को सार्वजनिक नही किया। इसी तरह 18 से 30 वर्ष की आयु के 23557 युवा संगीन वारदातो में शामिल रहे। जिनमें छतरपुर में सबसे अधिक 8071, सागर में 7420, टीकमगढ में 4999, दमोह में 1667 व पन्ना में सबसे कम 1400 युवाओ की गिरफतारी हुई जिनकी उम्र नाबालिग से अधिक पर 30 वर्ष से कम थी। आंकडो के मुताबिक भारतीय दंड विधान की धाराओ के अतिरिक्त स्थानीय अधिनियमो जुआं, सटटा, आम्र्स एक्ट इत्यादि की धाराओ के तहत वर्ष 2015 में 12002 आरोपियो की गिरफतारी हुई जिसमें महिलाये भी शामिल है। इन अपराधो में भी 18 से 30 वर्ष तक के आयु के आरोपियो की संख्यंा 8344 रही। भारतीय दंड विधान धााराओ के नजरिये से छतरपुर की 35, दमोह 47, पन्ना 48, सागर 21 व टीकमगढ की 28 रेंक प्रदेश में अपराध दर के आधार पर दर्ज हुई।
आंकड़े बताते हैं कि बुंदेलखंड में अपराधो का आंकडा दिनो दिन बढता जा रहा है। चितांजनक है कि संगीन वारदातो में बच्चो याानि युवा वर्ग की भागीदारी बढ़ती जा रही है। जानकारों का मानना है कि इसकी प्रमुख वजह बेरोजगारी से जुडी है। आधुनिकीकरण के दौर में युवाओ की जरूरते बढती जा रही है। मोबाईल और मोटरसाईकिल सहित मित्रता में अपनी रईसी का प्रभुत्व स्थापित करने के लिये युवा कम उम्र में ही शार्टकट से पैसा कमाने की सोचने लगता है। यही पैसा कमाने की होड से वह गलत कामो अर्थात छुटपुट अपराधो में फंसता जाता है। जो आगे चलकर संगीन वारदाते घटित करने में भी कोई चूक नही करते। मनोरोग विशेषज्ञ संजय शर्मा का कहना है कि कम समय में कम मेहनत कर अधिक प्राप्त करने की प्रवृति से युवा वर्ग अपराध की ओर प्रेरित हो जाता है। उनका कहना है कि इंटरनेट के दौर ने युवाओ को महत्वकांक्षी बना दिया है। वह इंटरनेट पर उस फैशन को भी देखता है और उसे पाने की कोशिश करता है। चिकित्सक शरद चौरसिया कम उम्र में हिसंक होती प्रवृति के लिये नशे को प्रमुख रूप से दोषी बताते हैं। उनका कहना है कि किसी भी बुरी आदतों की लत के शिकार युवा अपना भविष्य ना देखकर उन्मादी हो जाते हैं।
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