बांदा से आशीष सागर
उत्तरप्रदेश की ताजा-तरीन योगी सरकार को बुन्देलखण्ड में अवैध खनन की खबरें लगातार मिल रही है। उधर स्थानीय जिला शासन—प्रशासन को प्रेषित अपनी रिपोर्ट में खनन पे पूरी तरह लगाम है ऐसा लिखित दे रहा है। बावजूद इसके बाँदा,चित्रकूट,उरई-जालौन में बालू के अवैध खनन से पटे अख़बार उजाला अभियान खनन के गुनाहगार से रोज खबरें निकल रही हैं। प्रदेश सरकार के एक आला अफसर ने स्थानीय इंटेलिजेंस जाँच एजेंसी को इस काम में लगा दिया है। उन्हें न सिर्फ इस खुफियागिरी को गोपनीय रखने की हिदायत दी गई है बल्कि ये भी जानकारी की जा रही है कौन अधिकारी,रसूख वाले आदमी इस धंधे में लिप्त हैं।
आज इस सम्बन्ध में हुई वार्ता के क्रम में जाँच एजेंसी को कुछ दस्तावेज सौपें गए है। उल्लेखनीय है यूपी अवैध बालू खनन की सीबीआई जाँच भी कछुआ चाल से चल रही है साथ ही एनजीटी भी सुनवाई कर रही है। लेकिन सरकार बदलते ही वीआईपी सपा माफिया के टीम में शामिल अगुआकार के झंडे-डंडे बदल गए हैं केसरिया। बाकि सिस्टम वैसे ही दौड़ेगा यह तय माना जा रहा है। अपने सीएम योगी आदित्यनाथ के सपनों पे पलीता लगाने की कवायद में सफेद खनन माफिया जिनमें कुछ निर्वाचित एमएलए भी हैं,कुछ सपा खेमे के हैं पर उनका दावा है कि व्यवस्था को मैनेज करना हमें आता है।
हो भी क्यों न अब तो मीडिया के समनांतर खनन माफिया का अपना मीडिया खड़ा हो चुका है। प्रदेश में दो-चार इलेक्ट्रानिक न्यूज़ चैनल से लेकर जिले के पोर्टल तक ब्रेकिंग मिश्रा की तर्ज पे योगीराज में डूबकर अपने काले-पीले रोजगार के रास्ते तलाश रहे है।
बाँदा में इस समय नरैनी-पन्ना मार्ग में स्थित चंदौरा बालू खदान एमपी की वैध है जिसको शिवा कारपोरेशन लिमिटेड चला रही है। इसकी आढ़ में उससे लगे जिगनी की खदान में अवैध बालू ढुलाई की जा रही है। कुछ स्थानीय बसपा नेता,ठाकुर भाई लोग लाल सोना खोद रहे है। प्रतिदिन इस खदान से सैकड़ो ट्रक बालू निकासी जारी है।
तस्वीर में जो रजिस्टर के पन्ने हैं वे जनवरी माह में खोदे गए अवैध बालू के हैं,एक अवैध पार्टनर को उसका रुपया नहीं दिया गया तो उसने ये कागज हम तक पहुंचा दिए। इन पन्नों के अतिरिक्त 500 ट्रकों की लिस्ट भी है जिनमें बाकायदा अवैध खनन का काला चिटठा है। इसमें देखे लाल मार्क से सिंडिकेट लिखा है। अब योगी सरकार स्थानीय ब्यूरोक्रेसी से ये सवाल कर सकती है कि जिलाधिकारी महोदय सिंडिकेट क्या बला है सरकारी खर्च की ?
गौरतलब है पूर्व जिलाधिकारी बाँदा शीतल वर्मा ने कभी शासन लोकायुक्त को गायत्री खनन मामले में ये रिपोर्ट दाखिल की थी कि बुन्देलखण्ड में बालू में बैठा सिंडिकेट माफिया ही अवैध खनन करवाता है लेकिन इसका प्रसाशनिक ब्यौरा नहीं है। ये कुछ बाहुबली लोगों की अवैध कम्पनी होती है जिसका संचालन पार्टी या गैर पार्टी नेता अपने स्तर से रायल्टी के बाद उपरी जीटी / गुंडा टैक्स वसूल के सरकार को देता है। सभी खदान से इस सिंडिकेट के नाम पे ऐसी वसूली वैध-अवैध खदान दोनों से की जाती है। सरकार चाहे जिसकी भी आये बालू निकासी,ओवर लोडिंग का हाल कमोवेश यही रहता है जैसा अब तक होता आया है,होता रहेगा।
आखिर यही पेशा है जो बुन्देलखण्ड में बालू माफिया को माननीय बना देता है। चित्रकूट मंडल के खच्चर बालू ढुलान वाले अपने नए मसीहा की तलाश में हैं...जिनके पास एक-दो जेसीबी,पोकलैंड हैं वे दर्जन भर ट्रक,खदान,लिफ्टर वाले कम्पनी के भाई जी बन जाते हैं....धंधा चालू है सीएम योगी जी। ये भारी भरकम मशीन ही नदी के प्रवाह को कानून का मखौल उड़ाते हुए बद से बदतर कर रही है...व्यवस्था है बदले कौन ? अभी पहाड़ को तो लिखना बाकी है।
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