अरविंद तिवारी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल के तीन ट्वीट ने भाजपा में भूचाल ला दिया है। इन ट्वीट्स में पटेल ने अपनी ही सरकार को सीधा कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि व्यापम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी प्रशासनिक कार्यवाहियों और राजनैतिक इच्छाशक्ति की समीक्षा के लिए मजबूर करता है। अपनी बेबाकी के लिए ख्यात पटेल ने उस समय यह ट्वीट किया है, जब मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निरुत्तर सी है और संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान अपने नेताओं के बचाव के लिए तरह-तरह के कुतर्क दे रहे हैं।
इन ट्वीट्स के बाद पार्टी के एक बड़े वर्ग की निगाहें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष पर भी हैं और इंतजार इस बात का है कि पटेल जैसे कद्दावर नेता के खिलाफ क्या कार्यवाही की जाएगी, क्योंकि ऐसी ही एक बयानबाजी पर पार्टी एक नेता को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। इधर पटेल से अपेक्षा यह है कि वे इस मामले के असल जिम्मेदार लोगों के नाम जल्दी ही सामने लेकर आएंगे।
गुरुवार दोपहर जैसे ही पटेल ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर व्यापम मामले में तीखी प्रतिक्रिया जताई उसने सबको चौंका दिया और पार्टी के दिग्गजों को बंद कमरे में बैठकर सलाह-मशविरा करने के लिए मजबूर कर दिया। अपने पहले ट्वीट में पटेल ने कहा कि व्यापम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर न खुश हो सकते हैं और न ही दु:ख व्यक्त कर सकते हैं। वास्तविक अपराधियों को सजा मिलने का इंतजार है। इस ट्वीट से साफ है कि जिन लोगों के कारण सैकड़ों छात्रों का भविष्य खराब हो गया, उनके नाम सामने लाने पर पटेल का सबसे ज्यादा जोर है। यह किसी से छुपा हुआ नहीं है कि इस मामले के असल अपराधी जिनमें कॉलेज संचालक, सरकार में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग और आला अफसर हैं, को पिछले सालों में अलग-अलग तरीके अख्तियार कर बचाया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद व्यापम मामले पर पटेल की मुखरता यह बताती है कि केवल उन्हें ही नहीं एक बहुत बड़े वर्ग को वास्तविक अपराधियों को सजा मिलने का इंतजार है।
अपने दूसरे ट्वीट में पटेल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित मेडिकल छात्रों एवं उनके परिजनों के प्रति हमदर्दी जताते हुए कहा है कि इस फैसले से तीन पीढिय़ां प्रभावित हुई हैं। इसकी भरपाई पर मध्यप्रदेश के सभी लोगों को विचार करना होगा। पटेल का आशय साफ है। वे चाहते हैं कि इन छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए सरकार को ही कोई रास्ता निकालना होगा, यदि ऐसा नहीं हुआ तो एक बहुत बड़े वर्ग के सामने सरकार में बैठे लोग जवाब देने की स्थिति में नहीं होंगे।
पटेल का तीसरा ट्वीट बहुत ही खतरनाक है। यह प्रशासन में बैठे लोगों के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कामकाज पर सीधा सवाल खड़ा कर रहा है। पटेल ने इस ट्वीट में यह कहकर सत्ता और संगठन में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की नींद हराम कर दी है कि यह फैसला हमें राजनैतिक इच्छाशक्ति की समीक्षा के लिए भी मजबूर करता है। पटेल के इन तीन ट्वीट्स के बाद अब इंतजार मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष की प्रतिक्रिया का है। लेकिन यह तय है कि जो बात निकल गई है, वह दूर तलक जाएगी।
लेखक इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष हैं।
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