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अदिमजाति कल्याण मंत्री के जिले में बैगा आदिवासी आश्रम में वार्डन की अनदेखी से हाल बेहाल

खास खबर, राज्य            Feb 08, 2017


उमरिया से सुरेंद्र त्रिपाठी।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व की सीमा से लगे ग्राम महामन में आदिवासी बालक आश्रम में वार्डन की की मनमानी के चलते छात्र परेशान हैं। इस आश्रम के बच्चों के पास न तो पहनने को ढंग के कपड़े हैं और न ही खाना मेन्यू के अनुसार दिया जाता है। वार्डन यहां दो—चार दिन के लिये आता है। हैरानी वाली बात है कि बैगा आदिवासी बच्चों का ये आश्रम आदिम जाति कल्याण मंत्री के क्षेत्र में है। दोनों विधानसभा सीटें भी अनुसूचित जन जाती के लिए आरक्षित हैं। बावजूद इसके बैगा आदिवासी बच्चों के इस आश्रम में हालात बुरे हैं। वार्डन की अनदेखी का आलम यह है कि बच्चे शौच के लिए बाहर जाते हैं और हैंडपंप पर नहाते हैं।

यहाँ कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बैगा आदिवासी बच्चे रहते हैं। मीडिया जब आश्रम का सच जानने वहां पहुँच तो नजारा ही कुछ और था। जंगल में बने इस आश्रम में रहने वाले बच्चों के पास ठीक से पहनने को कपडे नहीं थे। जब कक्षा 5 के बच्चे धानू बैगा से जानकारी ली गई तो उसने बताया कि खाने में सुबह पोहा दोपहर में दाल भात सब्जी पापड आचार मिलता है और शाम को नाश्ते में चना मिलता है रात में खाने में फिर वही दाल भात मिलता है। वार्डन महीने में 4- 5 दिन ही आते हैं और चपरासी यहाँ रहते हैं। 30 बच्चों में 15-16 बच्चे ही रह गये हैं, बाकी घर चले गए हैं। कक्षा 4 के बच्चे नगीना का भी कहना है कि हमको यहाँ आये 3 माह हो गया हैण्ड पम्प में नहाते हैं साबुन घर से लेकर आये हैं। बर्तन हम खुद धोते हैं यहाँ से कपडे भी नहीं मिले हैं। पहले ट्यूशन पढ़ाने आते थे अब वह भी बंद है। इसके बाद जब कक्षा 5 के बच्चे संजू बैगा सेका कहना था कि 20 दिन से बिना साबुन के बच्चे नहाने को मजबूर हैं, तेल घर से लाये हैं। मंजन तक खुद ही खरीद कर लाये हैं यहाँ से कुछ नहीं मिला है। रात में रसोइया, चौकीदार रहते हैं। वार्डन कभी – कभार आते तो हैं लेकिन अपने साथ 3 – 4 लोगों को लाकर इंज्वाय करते हैं। जिसका नमूना परिसर में पडी शराब की बोतलें, अपनी कहानी खुद बयान कर रही हैं।

आश्रम के दीवालों पर लिखे भोजन के मीनू पर नजर डालें तो पता लगता है कि शासन ने इन बच्चों के लिए क्या व्यवस्था किया है, सोमवार को नाश्ते में पोहा, केला दोपहर में अरहर दाल, चावल, पापड़, सब्जी अचार शाम को रोटी सब्जी अरहर दाल पापड़, नाश्ते का मीनू प्रतिदिन बदला हुआ है, इनको दलिया, सेव, चना, पोहा केला मिलना चाहिए लेकिन पोहा और चना देकर औपचारिकता पूरी कर दी जाती है, बच्चों को खाने के लिए मिक्स दाल कढी, रोटी भी मीनू में है लेकिन वह भी इनके लिए दूभर है बस रोज चावल दाल और थोड़ी सी सब्जी नाम मात्र के लिए पापड़, आचार मिल जाता है गरीब परिवार के बच्चे उतने में ही खुश हैं 16 बच्चे और 3 कर्मचारी के लिए कितनी सब्जी बनती है यह तो कढाही में देखने से ही अंदाजा लग जाता है।

अब ज़रा महत्वपूर्ण व्यक्तियों के नाम की तरफ भी गौर करें तो वार्डन और विभाग की सक्रियता का पता लग जाएगा। यहां देश के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री का नाम तो सही लिखा है मगर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नरेश यादव तो अब दुनिया में नहीं रहे लेकिन इस आश्रम ने आज भी उनके नाम को बरकरार रखा है, जिले के प्रभारी मंत्री उमाशंकर गुप्ता की जगह ओम प्रकाश धुर्वे हैं फिर भी आश्रम के अधीक्षक को उनसे इतना लगाव है कि अभी तक उन्हीं का नाम लिखा है और तो और शहडोल संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद दलपत सिंह भी इस दुनिया में नहीं रहे, अब तो वर्तमान सांसद इसी विभाग के मंत्री ज्ञान सिंह हैं लेकिन उनका भी नाम विभाग के पटल से नहीं हट पाया है।

इतना ही नहीं ज़रा परिसर में बने शौचालय और रसोई की तरफ भी ध्यान दें तो रसोई के नाम पर खँडहर और कचरा भरा हुआ भवन मौजूद है वहीं शौचालय तो देखने में ऐसा लगता है कि बनने के साथ ही खँडहर हो गया। सबसे बड़ी बात तो यह है बच्चे शौच के लिए बाहर जाते हैं और बगल से टाइगर रिज़र्व की सीमा लगी है। कभी भी कोई खतरा हो सकता है। आश्रम के चौकीदार ज्ञान चढ़ बैगा ने जोर देने पर बताया कि केला, सेव कभी – कभी मिला जाता है अधीक्षक ले आते हैं। 24 घंटे की सेवा ली जाती है वर्त्तमान में मौजूद 16-17 बच्चे हैं, वैसे दर्ज तो 30 हैं लेकिन आश्रम 50 सीटर है, हर साल छात्रों की संख्या घटती ही जा रही है पूर्व में पाली में रहा लेकिन वहां के प्रिन्सिपाल रिलीव कर दिए तो यहाँ दिन – रात की सेवा दे रहा है, 11 साल की सेवा के बाद भी नियमित नहीं किया गया, गरीबी के चलते दबाब में दिन – रात काम करता हूँ, अधीक्षक के रहने के नाम पर धीरे से कहता है कि आज तो नहीं आये हैं।

इस मामले पर जब सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण आनंद राय सिन्हा से बात की गई तो उनका कहना था कि मैंने अपने एरिया आर्गनाईजर, सर्किल आर्गनाईजर को भेजा और इसी बीच उस शिकायत की जांच के लिए डिप्टी कमिश्नर आफ़िस से जांच के लिए कोई दल आया था जो मेरे को सूचना आई थी कि निम्नानुसार दल गठित किया जाता है जो महामन के छात्रावास की जांच करेगा, इसके चलते हमने अपनी जांच पर कार्यवाही रोक दिया है, वरिष्ठ कार्यालय जांच कर रहा है उसके आधार पर कार्यवाही होगी जो भी निर्देश प्राप्त होंगे उसके आधार पर कार्यवाही होगी।

 



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