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भोपाल DRM,सीनियर DOM के खिलाफ अजाक थाने में शिकायत दर्ज

खास खबर, राज्य            Feb 07, 2017


भोपाल से प्रवेश गौतम।

30 लाख रुपए के घोटाले का खुलासा करने वाले कर्मचारी पर की जातिसूचक टिप्पणी


मध्यप्रदेश की राजधानी स्थित भोपाल रेल मंडल के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ होगा कि मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) के खिलाफ जातिसूचक शब्द का उपयोग करने एवं गालियां देने का आरोप लगा है। वहीं इस मामले की शिकायत अजाक थाने में की गई है। थाने ने बकायदा डीआरएमआलोक कुमार, सीनियत डीओएम (वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक) अनुराग पटेरिया को मामले में बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भी जारी किया है। हालांकि डीआरएम आलोक कुमार सहित कोई भी अधिकारी थाने नहीं पहुंचा बल्कि अपना जवाब पत्र के माध्यम से प्रेषित किया।

दरअसल मामला एक घोटाले से जुडा हुआ है, जिसकी शिकायत होशंगाबाद स्टेशन पर पदस्थ डिप्टी स्टेशन अधीक्षक आरपी मगरईया ने की थी।मगरईया ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने डीआरएम आलोक कुमार को 25 जनवरी 2016 को लिखित शिकायत की थी कि तीन कर्मचार मिलकर टिकटों की रिसेलिंग (पुनः बिक्री) करते हैं, जिससे रेलवे को लाखों रुपए की राजस्व हानी हो रही है। बावजूद इसके डीआरएम ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद उन्होंने ने 16 फरवरी को दोबारा वही शिकायत डीआरएम को हलफनामे के साथ की।

उन्होंने आगे बताया कि घोटाले की शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने स्वयं टिकट की बिक्री करने वाले का सबूत सहित जीआरपी को पकडवाया। लेकिन जीआरपी ने भी कोई कार्रवाई नहीं की और जब्त गाडी एवं टिकटों को तीन दिन बाद छोड दिया। इसके बाद सीनियर डीओएम अनुराग पटेरिया ने उन्हें 3 अक्टूबर 2016 को डीआरएम कार्यालय तलब किया और जातिसूचक शब्दों का उपयोग करते हुए गालियां दी। उक्त मामले की जानकारी डीआरएम को भी दी गई लेकिन उन्होंने भी वैसा की बर्ताव किया जैसे अनुराग पटेरिया ने किया था।

उक्त मामले के बाद, उनका तबादला होशंगाबाद स्टेशन से बानापुरा कर दिया गया। हालांकि उक्त तबादले पर माननीय न्यायालय (सेन्टल एडमिनिस्टेटिव टिब्युनल) ने रोक लगा दी। इसके बाद 7 दिसंबर को उन्होने अजाक थाने में डीआरएस आलोक कुमार सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

क्या है घोटालाः
टारपी मगरईया के अनुसार, होशंगाबाद से भोपाल के जाारी टिकट को भोपाल में कलैक्ट करके उन्हें दोबारा बेचने के लिए होशंगाबाद लाया जाता था। औसतन 30 से 40 हजार रुपए प्रतिदिन टिकट की दोबारा बिक्री की जाती थी और जो नहीं बिक पाती थी उन्हें कैंसिल कराकर रिफंड ले लिया जाता था। ऐसा इसलिए संभव था क्योंकि पहले टिकट की वैधता 12 घंटे हुआ करती थी। जब रेलवे बोर्ड ने मार्च 2016 से टिकट की वैधता को 12 से घटाकर दो घंटे कर दिया गया तब इस गोरखधंधे पर रोक लग गई, हालांकि तब तक 30 से 40 लाख रुपए का घोटाला हो चुका था।

डीआरएम ने नहीं दिया संतोषजनक जवाब
शिकायत के जांच अधिकारी डीएसपी एसके सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि डीआरएम व अन्य अधिकारियों को 20 जनवरी तक जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था। लेकिन जो जवाब प्राप्त हुए हैं वह संतोषजनह नहीं हैं एव गोलमोल हैं। अधिकारियों को स्पष्ट जवाब के लिए दोबारा नोटिस भेजने पर विचार किया जा रहा है।



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