रवीन्द्र जैन।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सबसे चहेते आईपीएस अफसर रहे व्ही मधुकुमार बाबू को मनचाही पदस्थापना देने के चलते कमलनाथ सरकार की किरकिरी हो रही है। इस अधिकारी की लोकायुक्त संगठन में पदस्थापना से लोकायुक्त जस्टिस नरेश गुप्ता खासे नाराज हैं और उन्होंने पत्र लिखकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज अपने निवास पर लोकायुक्त जस्टिस नरेश गुप्ता से बीस मिनट एकांत में चर्चा की है। मुख्यसचिव एस आर मोहंती स्वयं आज लोकायुक्त कार्यालय जाकर लोकायुक्त से मुलाकात करने वाले हैं। चर्चा है कि जिस ई-टेंडर घोटाले को मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था, शिवराज सरकार ने इस मामले को रफा-दफा करने इस अधिकारी को ईओडब्ल्यू में पदस्थ किया था।
पहले प्रदेश के इस ताकतवर आईपीएस अधिकारी मधुकुमार बाबू के बारे में जान लें कि उन्होंने लगभग सत्ताइस साल की नौकरी में कभी पुलिस मुख्यालय में सेवाएं नहीं दी हैं। सरकार किसी की भी रही हो मधुकुमार बाबू को उनकी खास योग्यता के चलते मनचाही पोस्टिंग मिलती रही है। लगभग साढ़े छह साल उज्जैन में आईजी और एडीजी के रूप में बीताने के बाद चर्चा थी कि मधुकुमार बाबू परिवहन आयुक्त अथवा ईओडब्ल्यु में डीजीपी बनेंगे। इसी दौरान प्रदेश में ई-टेंडर घोटाला सामने आया।
शिवराज सरकार के अधिकारियों ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए ईओडब्ल्यु को पत्र लिखा। इस पत्र से घबराई शिवराज सरकार ने आनन-फानन में ईओडब्ल्यु के डीजी विजय यादव को हटाकर उनसे कनिष्ठ मधुकुमार बाबू को डीजी बना दिया था। मजेदार बात यह है कि मंदसौर गोलीकांड में आईजी मधुकुमार ही थे, लेकिन उनका कुछ नहीं बिगड़ा था।
दो दिन पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के तबादले में मधुकुमार बाबू को इंदौर में एडीजी नारकोटिक्स बनाया गया, लेकिन मधुकुमार बाबू ने अपनी योग्यता का उपयोग किया और मात्र 20 घंटे में उनकी पदस्थापना एडीजी लोकायुक्त के रूप में कर दी गई। इसी के साथ लोकायुक्त में एडीजी रवि गुप्ता को एडीजी नारकोटिक्स इंदौर पदस्थ किया गया।
लोकायुक्त से बिना पूछे की गई इस पदस्थापना को लेकर लोकायुक्त भड़क गए और उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर मधुकुमार बाबू की नियुक्ति पर आपत्ति करते हुए उन्हें संगठन में ज्वाइन न कराने की बात कह दी। इससे कमलनाथ सरकार बैकफुट पर आ गई।
शुक्रवार को कमलनाथ ने स्वयं फोन करके लोकायुक्त चर्चा के लिए अपने निवास पर आमंत्रित किया। मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए कि वे लोकायुक्त से मिलकर इस हालात को संभालें।
लोकायुक्त की नाराजगी
परम्परा रही है कि लोकायुक्त संगठन में आईपीएस की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार तीन अधिकारियों का पैनल भेजती है। इस पैनल से लोकायुक्त अधिकारी का चयन करते हैं। पिछले 48 घंटे में राज्य सरकार ने एडीजी स्तर के दो अधिकारी बिना पैनल भेजे लोकायुक्त में पदस्थ कर दिए। इनमें सुशोभन बेनर्जी और व्ही मधुकुमार बाबू शामिल थे।
यही नहीं पहले तो लोकायुक्त में पदस्थ एडीजी संजय माने को भी बिना लोकायुक्त से पूछे वहां से हटाकर पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन में भेज दिया गया। फिर रवि गुप्ता को इंदौर भेजा गया। रवि गुप्ता इसके पहले होशंगाबाद में आईजी थे।
वे पारिवारिक कारणों से भोपाल रहना चाहते थे। उन्होंने इस संबंध में शिवराज सरकार में लिखित आवेदन भी किया था। उसके बाद ही उनकी पदस्थापना लोकायुक्त में की गई थी। अचानक इंदौर ट्रांसफर होने से रवि गुप्ता काफी व्यथित हुए और उन्होंने लोकायुक्त से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई थी।
इसी के बाद लोकायुक्त ने राज्य सरकार को पत्र लिखा कि वे बिना सहमति आये अधिकारियों को लोकायुक्त में ज्वाइन नहीं कराएंगे। आज लोकायुक्त की मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात के बाद पता चलेगा कि लोकायुक्त में कौन रहेगा और कौन जाएगा।
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