मल्हार मीडिया ब्यूरो।
नौकरी से बाहर किए गए आईपीएस राजकुमार देवांगन को छत्तीसगढ़ में केवल तीन बार फील्ड की पोस्टिंग मिली। तीसरी और आखिरी फील्ड की पोस्टिंग डीआईजी रैंक पर रहते पुलिस जिला सूरजपुर के एसपी की थी। इसके बाद से देवांगन को सरकार ने कभी भी फील्ड में नहीं भेजा। करीब आठ साल से उन्हें अलग-अलग दफ्तरों में ही बैठाए रखा। पुलिस मुख्यालय के अफसरों के अनुसार जांजगीर
डकैतीकांड के बाद से ही देवांगन सरकार का भरोसा खो चुके थे। यही वजह है कि इसके बाद उन्हें एक भी बार ढंग की पोस्टिंग नहीं दी गई। जांजगीर के बाद देवांगन को रेल पुलिस की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन यह कार्यकाल भी लंबा नहीं रहा।
रेल एसपी के पद से सरकार उन्हें पुलिस मुख्यालय ले गई। इसके बाद देवांगन लगातार पुलिस मुख्यालय में ही सीआईडी व टेलीकॉम जैसी शाखाओं में रहे। 2012 में सरकार ने उन्हें खेल आयुक्त बनाकर पुलिस मुख्यालय से भी बाहर कर दिया। इसके बाद पीएचक्यू में भी उनकी वापसी नहीं हो सकी। 2014 से देवांगन आईजी होमगार्ड के पद पर काम कर रहे थे।
डीआईजी रहते देवांगन को फिर सूरजपुर जैसे पुलिस जिले का एसपी बनाया गया था। जानकारों के अनुसार इसकी एक मात्र वजह पदोन्नति में आ रही तकनीकी दिक्कत थी। सूत्रों के अनुसार आईजी बनने के लिए कम से कम तीन से अधिक जिले की कप्तानी का अनुभव जरूरी है। यह मापदंड पूरा कराने के लिए ही उन्हें सूरजपुर भेजा गया था।
सरकार ने 2012 में देवांगन को खेल आयुक्त बनाया। सरकार का यह भरोसा ज्यादा दिनों तक नहीं रह सका। करीब सालभर में ही सरकार ने उन्हें हटा दिया। खेल विभाग से उन्हें सीधे लोक अभियोजन में भेज दिया गया।
देवांगन के पास सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री है। करीबी सूत्रों के अनुसार देवांगन का नाम रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के होनहार छात्रों में शामिल था।
इनपुट ई खुलासा
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