मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की मोतीनगर बस्ती में रविवार, 9 फरवरी को एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया गया। सुबह 5 बजे शुरू हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई दोपहर 2 बजे तक पूरी हो गई। भोपाल प्रशासन ने अवैध निर्माण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 110 दुकानों को तोड़ दिया। जिसमें लगभग 6 घंटे तक तीन लेयर बैरिकेडिंग की गई।
पूरे क्षेत्र को पुलिस और प्रशासन की सख्त निगरानी में रखा गया। प्रशासनिक अमला और पुलिस बल की बड़ी तादाद तैनात थी, जिसमें 1000 से अधिक पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बैरिकेडिंग की तीन परतें की गई थीं, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। कार्रवाई के दौरान प्रशासन ने सुनिश्चित किया कि किसी भी दुकानदार या स्थानीय नागरिक को कोई परेशानी न हो, और पूरे इलाके में शांति बनी रहे।
पुलिस ने इलाके में निगरानी बढ़ा दी थी ताकि कोई भी असामाजिक तत्व शरारत न कर सके। इस दौरान सभी दुकानों के मालिकों को नोटिस दिए गए थे, लेकिन प्रशासन ने इसे सख्ती से लागू किया और सभी अवैध दुकानों को ध्वस्त कर दिया।
सुभाषनगर ब्रिज की सुरक्षा और प्रशासन की सख्ती, 200 पुलिसकर्मियों का तैनाती सुभाषनगर ब्रिज पर प्रशासन ने विशेष सुरक्षा व्यवस्था लागू की और साथ ही सख्त कार्रवाई की। अधिकारियों को आशंका थी कि कार्रवाई के दौरान हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे ब्रिज के ऊपर से पत्थरबाजी की संभावना बनी हुई थी।
इस कारण ब्रिज पर पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। सुभाष नगर आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) को भी पूरी कार्रवाई के दौरान बंद कर दिया गया था। पुलिस अधिकारियों ने ब्रिज के दोनों ओर सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की।
इसी दौरान मोती नगर बस्ती के पास स्थित एक मैरिज गार्डन में सगाई का कार्यक्रम हो रहा था। लड़की पक्ष के लोग गाड़ी लेकर बाहर पहुंचे थे, जिन्हें बैरिकेडिंग के पास रोक लिया गया था। बाद में पुलिस ने उन्हें अपने साथ गार्डन तक पहुंचाया। साथ ही, गार्डन के अंदर आ रहे कैमरामैन की भी जांच की गई और उसके बाद ही उन्हें आगे बढ़ने दिया गया।
प्रशासन ने इस कार्रवाई के दौरान कई अहम कदम उठाए। बैरिकेडिंग को तीन लेयर में किया गया और रचना नगर, रायसेन रोड, सुभाष नगर, और बोगदा पुल की तरफ कोई भी यातायात नहीं होने दिया गया। सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए 200 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
इस पूरी व्यवस्था में 4 एसडीएम, 4 तहसीलदार, 10 नायब तहसीलदार, 10 राजस्व निरीक्षक, 50 पटवारी और 50 कोटवार भी शामिल थे, जो कार्रवाई को सुचारु रूप से संपन्न करने में जुटे थे।
- कार्रवाई की शुरुआत और दुकानों का तोड़ना अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सुबह 5 बजे शुरू हुई और करीब 10:30 बजे तक 110 दुकानों को तोड़ दिया गया। इसके बाद मलबा हटाने का काम शुरू हुआ, जिससे कार्रवाई को पूरा करने में कुल 6 घंटे का समय लगा।
- सुरक्षा इंतजाम और बैरिकेडिंग इस पूरी कार्रवाई के दौरान प्रशासन ने क्षेत्र को पूरी तरह से कड़ी सुरक्षा घेरे में रखा। पुलिस ने चारों ओर एक किमी तक बैरिकेड्स लगाकर लोगों की आवाजाही को रोक दिया था। बैरिकेडिंग को 12:30 बजे हटा दिया गया, जब स्थिति सामान्य हो पाई और इलाके में आवाजाही शुरू हो सकी।
- भारी मशीनरी का इस्तेमाल अतिक्रमण हटाने के लिए भारी मशीनरी का उपयोग किया गया। 10 जेसीबी, 2 बड़ी पोकलेन, 25 डंपर, 10 ट्रैक्टर ट्राली और 50 लोडिंग गाड़ियां इलाके में लगाई गईं। इन संसाधनों के जरिए प्रशासन ने लगभग पूरी कार्रवाई बिना किसी रुकावट के पूरी की।
- सुभाषनगर ब्रिज को बंद किया गया सुरक्षा के मद्देनजर सुभाषनगर ब्रिज को भी बंद कर दिया गया था, ताकि ट्रैफिक और किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।
- मीडिया पर पाबंदी मीडिया को भी इस पूरे इलाके में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। प्रशासन ने इसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से आवश्यक माना था, ताकि किसी प्रकार का तनाव न उत्पन्न हो।
- कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला की नजरबंदी इस दौरान विरोध और हंगामे की आशंका को देखते हुए पुलिस ने कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला को उनके घर में नजरबंद कर दिया था। यह कदम स्थिति को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया था।
- अतिक्रमण हटाने का उद्देश्य यह कार्रवाई सुभाषनगर ब्रिज की थर्ड लेन और रेलवे की थर्ड लाइन के विस्तार के लिए की जा रही थी। प्रशासन ने पहले 110 दुकानों को तोड़ा है, और आगामी दिनों में 384 मकानों को भी हटाया जाएगा।
- कांग्रेस का विरोध और हंगामा कांग्रेस पार्टी ने इस कार्रवाई का विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि यह कदम गरीबों और व्यापारियों की आजीविका पर आघात है। विरोध की आशंका को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया था।
- पुलिस द्वारा अल्टीमेटम इससे पहले, 6 फरवरी को पुलिस ने इलाके में पहुंचकर लोगों को सामान हटाने का अल्टीमेटम दिया था। अधिकारियों की समझाइश के बाद, कई दुकानदारों ने अपना सामान हटा लिया था।
- आगामी कार्रवाई इस अतिक्रमण हटाने के बाद भी, प्रशासन द्वारा कई और मकानों को तोड़ा जाएगा। यह कदम शहर के विकास और यातायात के विस्तार के लिए जरूरी बताया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही स्थानीय निवासियों और राजनीतिक पार्टियों का विरोध भी बढ़ सकता है।
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